Hindi, asked by santoshbarnwal352, 3 months ago

2. प्रकृति खिलते फूल पर कैसे मेहरबान हो रही थी ?​

Answers

Answered by rashmikerketta1981
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Answer:

प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि की जग के साथ रहकर चलने की और जग से अलग रहने की स्थिति का वर्णन करता है। कवि जानता है कि मनुष्य संसार से अलग नहीं हो सकता। वह जानता है कि वह इस संसार का एक हिस्सा है। अतः वह कितना भी चाहे परन्तु इससे कटकर रहना संभव नहीं है। वह कहीं भी जाएगा, जग उसके साथ ही होगा। उसे इस जग से चाहे कष्ट ही क्यों न मिले लेकिन इससे अलग होना उसके बस की बात नहीं है।

इस स्थिति से निकलने के लिए उसने एक नया तरीका निकाला है। वह इस जग में रहते हुए भी इसकी उपेक्षा करता है। उसे संसार के लोगों द्वारा कितना भला-बुरा कहा जाता है लेकिन वह उन बातों पर ध्यान ही नहीं देता। उसने अपने अलग व्यक्तित्व तथा जीवन का निर्माण किया हुआ है। वह यहाँ निर्भीकता पूर्वक रहता है। अतः आज वह संसार के साथ रहकर भी उससे अलग हो गया है।

Answered by soniachanu036
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Answer:

प्रकृति खिलते फ़ूलों पर हर प्रसार से मेहरबन थी। चंद्रमा उस पर अपनी शिंगद किरने बरसा रहा था। रात हमें पर ओसकनो रूपी मोती न्योछावर कर रही थी। वर्मर हम पर मैंड्रेट।

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