2. पीटी साहब की 'शाबाश' फौज़ के तमगों-सी क्यों लगती थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरपी मानतीन
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पीटी साहब स्वभाव से बहुत सख्त थे और बहुत कम ही बच्चों को शाबाशी देते थे.परेड करने के वक्त जब वह देखते कि सब बच्चे अच्छे से परेड कर रहे हैं तब वे शाबाश कहते तब बच्चों को ऐसा लगता कि उन्हें फौज में किसी बड़े अफसर से तमगा मिल गया ।
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पीटी साहब प्रीतमचंद बहुत कड़क इनसान थे। उन्हें किसी ने न हँसते देखा न किसी की प्रशंसा करते। सभी छात्र उनसे भयभीत रहते थे। वे मार-मारकर बच्चों की चमड़ी तक उधेड़ देते थे। छोटे-छोटे बच्चे यदि थोड़ा-सा भी अनुशासन भंग करते तो वे उन्हें कठोर सजा देते थे। ऐसे कठोर स्वभाव वाले पीटी साहब बच्चों के द्वारा गलती न करने पर अपनी चमकीली आँखें हल्के से झपकाते हुए उन्हें शाबाश कहते थे। उनकी यह शाबाश बच्चों को फौज़ के सारे तमगों को जीतने के समान लगती थी।
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