2. पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति है 'मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै.
यह तो सुमिरन नाहि' के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?
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2. पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति है 'मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै.
यह तो सुमिरन नाहि
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