2. रामवृक्ष बेनीपुरी रचित 'मंगर' पुस्तक पाठ का सारांश लिखें।
Answers
रामवृक्ष बेनीपुरी (२३ दिसंबर, १८९९ - ७ सितंबर, १९६८) भारत के एक महान विचारक, चिन्तक, मनन करने वाले क्रान्तिकारी साहित्यकार, पत्रकार, संपादक थे।वे हिन्दी साहित्य के शुक्लोत्तर युग के प्रसिद्ध साहित्यकार थे।
रामवृक्ष बेनीपुरी
150px
जन्म
23 दिसंबर, 1900 ईस्वी
बेनीपुर ग्राम, मुजफ्फरपुर जिला, बिहार, भारत
मृत्यु
१९६८ (आयु ६८-६९)
व्यवसाय
लेखक, नाटककार, निबंधकार, उपन्यासकार
राष्ट्रीयता
भारतीय
उल्लेखनीय कार्य
अंबपाली, पतितों के देश में, शकुन्तला
‘रामवृक्ष बेनीपुरी’ की “मंगर” कहानी का सारांश
‘मंगर’ कहानी ‘रामवृक्ष बेनीपुरी’ द्वारा लिखित कहानी है। इस कहानी के माध्यम से रामवृक्ष बेनीपुरी ने एक मजदूर के जीवन और दशा का चित्रण किया है।
रामवृक्ष बेनीपुरी सामान्य जन के लेखक रहे हैं। उनकी कहानियों में भारत के आमजन की जीवन की झलक मिलती है।
मंगर एक मजदूर था और वह लेखक बेनीपुरी का हलवाहा था। मंगर शरीर का एकदम हट्टा-कट्टा था और वह बेहद परिश्रमी था। ईमानदारी और स्वाभिमान उसके अंदर कूट-कूट कर भरा था। मंगर का शरीर गठीला और खूबसूरत था। वो परिश्रमी था और परिश्रम ने उसके शरीर को हुष्ट-पुष्ट और सुंदर बना दिया था। वह मेहनती इतना कि 10 कट्टा खेत बड़े आराम से जोत लेता था और इतनी सफाई से जोतता था कि पहले उसमें ही पहली बार में ही आसानी से बुआई हो जाती। अपनी इसी विशेषता के कारण उसे अन्य मजदूरों से अधिक मजदूरी मिल जाती थी।
मंगर की पत्नी का नाम भकोलिया था। वह भी मंगर के समान थी और पतिव्रता स्त्री थी। मंगर स्वभाव का बड़ा ही कोमल और दयालु था। मंगर को खाने को डेढ़ रोटी मिलती तो आधी रोटी के दो टुकड़े कर बैलों को खिला देता। वो बैलों को साक्षात महादेव के समान समझता था।
लेखक को मंगर से बेहद लगाव था। लेखक कभी-कभी मंगर के कंधों पर चढ़ा घूमता था। कपड़ा पहने के नाम पर मंगल केवल कमर के नीचे धोती पहनता था और वह भी भगवा रंग की धोती होती थी। कभी-कभी त्योहार पर मिली दूसरी कोई धोती भी पहन लेता था।
कालांतर में समय बीता, लेखक शहर चला गया। बहुत समय बाद लेखक अपने गांव वापस आया तो पता चला कि मंगर की हालत अत्यंत जर्जर हो गई है। एक बार मंगर के सर में दर्द हुआ तो उसकी पत्नी भकोलिया ने दाल चीनी लेप उसके सिर पर लगा दिया। इससे उसके सिर का दर्द तो बंद हो गया, लेकिन उसकी एक आंख की रोशनी भी चली गई।
जब लेखक अपने गांव वापस आया तो वो मंगर को पहचान नहीं पाया और उसकी जर्जर एवं दयनीय दशा देखकर लेखक को बड़ा ही दुख हुआ। एक बार मंगर चलते-चलते गिर पड़ा तो फिर कभी न उठ सका।
इस पाठ के प्रश्न नीचे दिए गए लिंक में है :
brainly.in/question/13089966
brainly.in/question/9785091