2. “संसाधन हुआ नहीं करते, बना करते हैं।” इस कथन की व्याख्या करें।
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eska arth he ki manushy he har vastu ko banata na ki bo khud bna karte he esliye himesh mahat or koshish karni cjahiye
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gadiya ghar ⛵️
Answer:
“संसाधन हुआ नहीं करते, बना करते हैं।” इस कथन की व्याख्या:
दुनिया भर में कई प्राकृतिक सामग्री बिखरी हुई हैं जिनका उपयोग न करने पर संसाधन नहीं बनते हैं।मनुष्य उन्हें खोज लेता है, फिर अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनी बुद्धि, विवेक, योग्यता, प्रौद्योगिकी और कौशल का उपयोग करता है, अर्थव्यवस्था को विकसित करने और इन संसाधनों का उपयोग करने के लिए उनका उपयोग करने की योजना बनाता है। मानव आर्थिक विकास के लिए संसाधन आवश्यक हैं।इसका उपयोग नदी की शक्ति को बढ़ाने के लिए, जलविद्युत ऊर्जा संयंत्रों में, मेसा की खेती में संचार के रूप में और कई औद्योगिक रूपों में किया जाता है। इस प्रकार योजना के अनुसार संशोधित योजना तैयार की जाती है।नहरें निकाली गईं, सिंचाई के कार्य किए गए, बिजली का उत्पादन किया गया, जिससे सिंचाई और उद्योग के विकास में योगदान हुआ, फिर वही नदी जो दु:ख का कारण बनी, वह प्राकृतिक संसाधन, कल्याण का स्रोत बन गई। इसलिए भूगोलवेत्ता ज़िम्मरमैन ने ठीक ही कहा है कि संसाधन बनते नहीं, बनते हैं।
यह हिन्दी भाषा का प्रश्न है।
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