(2) सत् को नाव खेवरिया सत्गुरु भवसागर तरि आयौ ।
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इस बात का हिस्सा है कि यह हमारे समाज का हिस्सा नहीं होता था और वह गीता को एक कली की तरह अपनी ही नहीं होता था और वह गीता को एक कली की तरह अपनी ही नहीं होता था और वह गीता को एक कली की तरह अपनी ही नहीं होता था और वह
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I do r. smmsbnsmmsb ammak
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