2. सत्य की रक्षा करने वाला मनुष्य ही अपने अस्तित्व को मुखर कर पाता है।
3.
सच्चा मनुष्य सत्य के अतिरिक्त किसी प्रभाव को स्वीकार नहीं करता।
सच्चा मनुष्य प्राणियों की सहायता हेतु सदैव तत्पर रहता है।
5.
सच्चा मनुष्य विपरीत परिस्थितियों को सामान्यतया प्रतिकूलता में नहीं लेता।
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यह बात बीलकूल सत्तय है।
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