2. दी हुई अधूरी कहानी को अपनी कल्पनाशीलता से पूर्ण
कीजिए।
सावन का महीना था। आकाश में काले बादल
छाए हुए थे। ठंडी-ठंडी हवा बह रही थी। ऐसे
में कुछ ऋषि वन के मार्ग से चले जा रहे थे। उनके
हाथों में कमंडल व होठों पर भगवान का नाम था।
अचानक जंगल में
सन्नाटे को चीरती हुई एक कड़कदार
आवाज़ सुनाई दी।
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अधूरी कहानी को अपनी कल्पनाशीलता से पूर्ण कीजिए।
उत्तर: सावन का महीना था। आकाश में काले बादल छाए हुए थे। ठंडी-ठंडी हवा बह रही थी। ऐसे में कुछ ऋषि वन के मार्ग से चले जा रहे थे। उनके हाथों में कमंडल व होठों पर भगवान का नाम था। अचानक जंगल में सन्नाटे को चीरती हुई एक कड़कदार आवाज़ सुनाई दी। आवाज़ सुनकर ऋषि अचानक सकते में आ गए और फिर पीछे मुड़कर देखा तो अचंभित हो गए । कुछ ही दूरी पर एक बड़ा सा दानव उनकी और आ रहा था। यह दानव बिलकुल गुरिल्ला जैसा था लेकिन उसका बहुत ही विशालकाय शरीर था । ऋषि भगवान का नाम जपते ही रहे और दानव उनके बहुत पास आ गया। ऋषियों ने पूछा कि तुम क्या चाहते हो । उस पर वो दानव बोला कि में तुम सबका खून पी जाऊंगा और और ताकतवर हो जाऊंगा। इस पर ऋषि बोले कि हे दानव, हमारा खून पीने से तुम्हें क्या मिलेगा हमारा शरीर तो नश्वर है और हमारे शरीर या खून से तुम्हारा पेट नहीं भर सकता, बाकी तुम्हारी इच्छा। लेकिन दानव जब नहीं माना तो एक ऋषि बोला कि खून तो तुम पीलो पर हम सब अनेक बीमारियों से ग्रस्त हैं और अगर तुम हमारा खून पीओगे तो तुम्हें भी बीमारियाँ लग जाएंगी और तुम कुछ समय बाद मर जाओगे इसलिए अब यह तुम पर निर्भर है कि तुम्हें जीना है कि हमारा खून पीकर अपनी मृत्यु को बुलावा देना है।
यह सुनकर दानव दर गया और वहाँ से चला गया और ऋषि अपनी राह चल पड़े । इस तरह अपनी बुद्धि का प्रयोग करके उन सब ने अपनी मौत को मात दे दी ।