2. दुनिया ने दाँतों-तले उँगली दबाकर कहा था-ऐसा भी क्या बाप, जो अपने बेटे के
लिए भी नहीं रोता! उसी बाप के बेटे हैं। मुझे सदा इन्होंने माया-ममता में फंसी हुई कहकर कोसा है। सदा मेरी निन्दा की है।
(i) उपर्युक्त अवतरण का प्रसंग लिखिए।
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मुझे किसी ने बताया तक नहीं। यदि कोई शिकायत थी तो उसे मिटा देना चाहिए था। हल्की सी खरोंच भी, यदि उस तत्काल दवाई न लगा दी जाए, बढ़कर एक घाव बन जाती और घाव नासूर हो जाता है, फिर लाख मरहम लगाओ ठीक नहीं होता। उपर्युक्त अवतरण के वक्ता का परिचय दें।
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