Hindi, asked by gp9244045, 6 months ago

2) विज्ञापन-लेखन :
• निम्नलिखित जानकारी के आधार पर नागपुर के एकता विद्यालय में आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी का
लगभग 50 से 60 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
5
स्थान
तिथि, समय
माडल के प्रकार
विशेषता​

Answers

Answered by bhatiamona
33

विज्ञापन-लेखन :

नागपुर के एकता विद्यालय में आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी का 3-05-2020 किया जा रहा है।

विज्ञान प्रदर्शनी का विद्यालय के प्रांगण में किया जा रहा है | यह आयोजन सुबह 10 बज़े शुरू किया जाएगा | इस प्रदर्शनी में सभी स्कूल के छात्र बच्चे बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले सकते है।  

इस प्रदर्शनी में विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे विकास के अनेक प्रकार के विज्ञान से संबंधित नए नए मॉडल का प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शनी में विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे विकास के अनेक प्रकार के विज्ञान से संबंधित नए-नए मॉडल का प्रदर्शन किया। विद्युत ऊर्जा, चुंबकीय क्षेत्र और पवन चक्की के बारे में जानकारी दी।  

आप सब से आवेदन विज्ञान प्रदर्शनी को देखने आइए और आनन्द लीजिए।

▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ ▬▬ ▬▬

संबंधित कुछ अन्य प्रश्न...►

https://brainly.in/question/14533788

सूचना लेखन ?विषय : विद्यालय की वार्षिक पत्रिका 'अभिनव भारती के लिए छात्रों से स्व-रचित लेख, कविताएँ एवं कहानियाँ आमंत्रित करने हेतु एक सूचना तैयार कीजिए।

Answered by adarshsoni59
10

Answer:

निबंध लेखन » सुभाष चंद्र बोस- मेरे प्रिय नेता पर निबंध

सुभाष चंद्र बोस- मेरे प्रिय नेता पर निबंध

मेरे प्रिय नेता(सुभाष चंद्र बोस) पर निबंध

नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध

नेता वही कहलाता है जो किसी देश या किसी भी संगठन का भली -भाँती नेतृत्व करे, साथ ही देश और लोगो को एक साथ एकता के साथ बांधे रखे। मेरे प्रिय नेता है नेताजी सुभाष चंद्र बोस। नेता जी के बारे में लगभग हम सभी भारतीय जानते है। उनका लोकप्रिय नारा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा के” विषय में सभी जानते है। नेताजी एक महान भारतीय राष्ट्रवादी सोच और विचारधारा के व्यक्ति थे। सभी लोग जानते है, वह अपने देश से कितना प्रेम करते थे। नेताजी का जन्म 1897 में 23 जनवरी को हुआ था। सबसे ज़्यादा अत्याचारी और कट्टर ब्रिटिश शासन के खिलाफ वे बहादुरी के साथ लड़े। सुभाष चंद्र बोस निश्चित रूप से एक क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अपने देश के लिए अपना परिवार को भी समर्पित कर दिया था।

नेताजी के पिताजी का नाम जानकीनाथ बोस था। उनके पिताजी उच्च स्तर के वकील थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा कटक में प्राप्त की। नेताजी ने अपने आगे की शिक्षा प्रेसीडेंसी कॉलेज से प्राप्त की। उसके पश्चात आई सी एस की परीक्षा देने के लिए इंग्लैंड चले गए। आई सी ए स की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वह चाहते तो आराम और सुख सुविधा पूर्ण जीवनयापन कर सकते थे। परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया। उनके मन में देश को आज़ाद कराने की लौ जल रही थी। नेताजी ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए त्याग और बलिदान का मार्ग चुना। वे अपने देश से असीम और अनंत प्रेम करते थे, जिसके लिए उन्होंने अपने जीवन में सारे सुख सुविधाओं का त्याग किया।

नेताजी भगवत गीता में काफी विश्वास रखते थे जिससे उन्हें अंग्रेज़ो के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा मिलती थी। स्वामी विवेकानंद के सिखाये हुए मार्ग यानी उनकी शिक्षाओं का नेताजी अनुकरण किया करते थे।

राजनीति में उन्होंने अपना पहला कदम, असहयोग आंदोलन से किया था। नेताजी ने नमक आंदोलन का नेतृत्व सन 1930 में किया था। नेताजी ने प्रिंस ऑफ़ वेल्स के आगमन पर विरोध आंदोलन किया था।  इसके लिए उन्हें सरकार की तरफ से छह महीने का दंड दिया गया। नेताजी ने ब्रिटिश सरकार को सबक सिखाने के लिए कई तरह की राजनितिक गतिविधियों में भाग लेने लगे थे। जनता के मन में नेताजी ने घर बना लिया था।

सुभाष चंद्र बोस ने सिविल डिसओबेडिएंस मूवमेंट में भाग लिया था। यही से सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बन गए थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य नेताजी बन गए। इसके पश्चात वह, 1939 में पार्टी के अध्यक्ष बने। यह  सिर्फ  केवल थोड़े समय के लिए था। बाद में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था।

ब्रिटिश को नेताजी से बड़ी परेशानी थी। नेताजी से मन ही मन वे डरते थे। इसलिए ब्रिटिश सरकार ने नेताजी को घर पर नज़र बंद करके रखा था। लेकिन नेताजी ने अपनी चतुराई से वहां से निकल पड़े और सन 1941  को वह रहस्मयी तरीके से देश से बाहर चले गए।  लेकिन इसके पीछे उनका एक ही उद्देश्य था, देश को आज़ादी दिलाना।

फिर वह अंग्रेजों के खिलाफ मदद मांगने के लिए वे यूरोप गए। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने हेतु रूस और जर्मनों जैसे देशो से  की मदद मांगी। नेताजी सन 1943 में जापान गए थे। ऐसा इसलिए था क्योंकि जापानियों ने भारत को आज़ाद करवाने का उनका प्रस्ताव मंज़ूर किया। जापान में सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना के गठन का आरम्भ कर दिया था।

बोस लगातार दूसरे बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे। लेकिन गांधी और कांग्रेस के साथ उनके कुछ मतभेद हो गए, जिसके कारण  बोस ने इस्तीफा दे दिया। बोस महात्मा गांधी के अहिंसा के दृष्टिकोण से असहमत थे । गाँधी जी और नेहरू का भली भांति समर्थन ना मिलने का कारण नेताजी ने इस्तीफा दे दिया था।

भारतीय राष्ट्रीय सेना ने भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्सों पर हमला किया। यह हमला सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में हुआ। आई-एन-ए कुछ भागों को लेने में सफल रहा।  हालांकि, बोस ने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया। नेताजी विमान में बच कर निकल रहे थे, लेकिन कुछ तकनीकी खराबी के कारण विमान संभवतः दुर्घटनाग्रस्त हो गया। कहा जाता है 18 अगस्त 1945 को सुभाष चंद्र बोस का निधन हो गया। लेकिन नेताजी की मौत को लेकर अभी भी संदेह बना हुआ है।

कांग्रेस की विचारधाराओं से वे कुछ ख़ास सहमत नहीं थे। इसलिए उन्होंने आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था। देश के लोगो ने सुभाष चंद्र बोस के फ़ौज की गठन के लिए काफी मदद की।

निष्कर्ष सुभाष चंद्र बोस के चले जाने से देश को काफी झटका लगा। वे निडर होकर देश की सेवा में लगे रहे। उन्होंने कई कठिनाईओं का सामना किया। नेताजी वीर राष्ट्र नेता थे और आज भी हम सबके दिलो में ज़िंदा है। देशवासी आज भी देशभक्त नेताजी को उतना ही प्यार और सम्मान देते थे, जितना की पहले। ऐसे सच्चे नेताओं की ज़रूरत आज  देश को है। हम अपने आपको भाग्यशाली मानते है, नेताजी जैसे नेता ने हमारे देश का नेतृत्व किया और अपने सारे इच्छाओं की कुर्बानी देकर, देश हित को सर्वप्रथम रखा। हम सर झुकाकर ऐसे देशभक्त का नमन करते है। नेताजी के इन्ही गुणों के कारण वह मेरे प्रिय नेता

Similar questions