20 अपठित पद्यांश 'निर्मम कुम्हार. मिट्टी अविनाश है। निर्मम कुम्हार की थापी से,कितने रुपों में कुटी पिटी। हर बार बिखेरी गई किन्तु, मिट्टो फिर भी तो नहीं मिटी।। फसलें उगती,फसलें कटती,लेकिन धरती चिर उर्वर है। सौ बार बने सौ बार मिटे,लेकिन मिट्टी अविनश्वर है।। (क) उपयक्त पद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए। (ख) पद्यांश का भावार्थ लिखिए।ka answer
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bohot jada points and mw
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i don t kown plese mark as brilliant
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