20. 'विकलांगता नहीं है अभिशाप' विषय पर (80-100
शब्दों में ) अनुच्छेद लिखिए। (5 अंक)
(Non-anonymous questiono)
(5 Points)
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Answer:
आज देश में हर कोई महिलाओं ,और दलितों के हितों के नाम पर राजनीती करता है पर इन सबके बीच कोई भी देश में विकलांगों के बारे में नहीं सोचता है।पूरे विश्व में शायद भारत में ही विकलांगों की सबसे ज्यादा उपेक्षा होती है।मैं स्वयं इसका भुक्तभोगी हूँ।मुझे 1986 में 8 साल की उम्र में एक दुर्घटना के चलते डाक्टरों द्वारा गलत ऑपरेशन कर दिए जाने के बाद स्थाई रूप से विकलांगता हो गई थी ।मैंने विकलांग होने के दर्द को अन्दर तक झेला है और अज भी लोगों द्वारा इसका एहसास अक्सर ही कराया जाता है।बचपन में स्कूल , कालेज से लेकर आज तक कार्यालय के सहकर्मी भी कहीं न कहीं विकलांग होने पर उपहास उड़ाते रहे हैं ।आखिर कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से तो विकलांग होना नहीं चाहता है फिर अक्सर ही उसे क्यों इस बात के लिए उपहास का पात्र बनाया जाता है।आज भी मुझे आम आदमी की तरह जीवन जीने का कोई हक नहीं है,मेरी शादी नहीं हो सकती क्योंकि मैं विकलांग हूँ और अगर मुझे शादी करनी है तो मैं किसी विकलांग लड़की से ही करूं ।मैं और लोगों की तरह खेल कूद नहीं सकता क्योंकि मैं विकलांग हूँ।अगर कोई विकलांग व्यक्ति अपनी मेहनत और काबिलियत के चलते कुछ हासिल भी कर लेता है तो क्यों हमारा समाज उसे प्रोत्साहित करने की बजाये दया दिखाता है।हमारे संविधान में अगर कोई किसी को जातीसूचक शब्द कहता है तो उसे सजा तक हो सकती है ,पर कोई भी विकलांग को लंगड़ा,लूला ,अँधा ,बहरा आदि के संबोधन करता है तो उसे कुछ नहीं होता है।समाज के लोगों को अपनी मानसिकता बदलने की जरुरत है क्योंकि विकलांग होना कोई अभिशाप नहीं है।उन्हें किसी की दया नहीं बल्कि प्रोत्साहन की जरुरत है।उनमें भी कुछ कर गुजरने का दम है ,विकलांग भी किसी मामले में किसी से कम नहीं । शारीरिक अक्षमता होना जरुरी नहीं की व्यक्ति मानसिक रूप से भी अक्षम है।उन्हें भी समाज में बराबरी से जीने का हक है ।
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