200 words nibandh on mere jivan ka lakshya scientist
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फिर यरी अभी तक भारत का कोई वैज्ञानिक कोई ऐसा अदभुत एवं अपने-आप में एकदम नया आविष्कार नहीं कर सका, जिस से भारत को ज्ञान-योग के क्षेत्रों के समान विज्ञान के क्षेत्र का घि महान एवं मार्गदर्शक देश बन पाता । इसी प्रकार के तथ्यों के आलोक में अक्सर मेरे मन-मस्तिष्क में यह आन्दोलित होता रहता है कि-यदि मैं वैज्ञानिक होता? यदि मैं वैज्ञानिक होता, तो इस क्षेत्र में नवीन-से-नवीन क्षितिजों के उद्घाटन का प्रयास करता, ताकि भारत वह मान-सम्मान प्राप्त कर सके जिसका कि वह अतीत काल में न केवल दावेदार बल्कि सम्पूर्णत: अधिकारी रहा है ।
मैं आर्यभट्ट और वराह मिहिर जैसे नक्षत्र-विज्ञानियों की परम्परा को आगे बढ़ाने का भरसक प्रयास करता, ताकि मानवता के भाग्य एवं मस्तक, की लकीरों को अपनी इच्छा से, नए ढंग से लिखा जा सके । मैं इस प्रकार की वैज्ञानिक खोजें और आविष्कार करता कि जिस से मानव-जाति का वर्तमान तो प्रगति एवं विकास करता हुआ सुखी-समद्ध बन ही पाता, भविष्य भी हर प्रकार से सुरक्षित रह सकता ।