21 vi shatabdi me Stri purush ki shamtao me antar samapat ho gaya hai bharat ki yhe bahadur batiya path ke Aadhar pr udharan date hua ispasht kijiye
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२१ वीं शताब्दी हो या रानी लक्ष्मीबाई का युग हमारे भारत देश की बेटियां सदियों से अपनी क्षमता को साबित कर नारीत्व का झंडा लहरा रही है धरती मां का नाम विश्व में उजागर कर रही है। भारत की बहादुर बेटियां में कल्पना चावला और प्रतिभा देवी पाटिल का उदाहरण है। आज २०१९ में और भी ने नाम इस पाठ में जोड़ें जा सकते हैं। पी.वी सिंधु, साक्षी मल्लिक, गीता फव्वार, दिपिका कर्मकार आदि और महिला है जो देश के नाम को और ऊंचाई के शिखर तक ले जाने के लिए कड़ी मेहनत करती है।
हाल ही में जीती सारेगामापा में इशिता विश्वकर्मा कम आयु में ही नेक काम करती है उन्होंने समाज सेवा के माध्यम से कई सारी बाल विवाह को रोका है। हम नीरजा को नहीं भूल सकते जो अपनी जान पर खेलकर की सारी यात्रियों को आतंकी हमले से बचाती है।
ऐसे नारी हर युग में हर घर में होनी चाहिए। कौन कहता है पुरुष रूपी समाज में नारी का अस्तित्व नहीं है। नारी का अस्तित्व नारी स्वयं बनाती है।
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२१ वीं शताब्दी हो या रानी लक्ष्मीबाई का युग हमारे भारत देश की बेटियां सदियों से अपनी क्षमता को साबित कर नारीत्व का झंडा लहरा रही है धरती मां का नाम विश्व में उजागर कर रही है। भारत की बहादुर बेटियां में कल्पना चावला और प्रतिभा देवी पाटिल का उदाहरण है। आज २०१९ में और भी ने नाम इस पाठ में जोड़ें जा सकते हैं। पी.वी सिंधु, साक्षी मल्लिक, गीता फव्वार, दिपिका कर्मकार आदि और महिला है जो देश के नाम को और ऊंचाई के शिखर तक ले जाने के लिए कड़ी मेहनत करती है।
हाल ही में जीती सारेगामापा में इशिता विश्वकर्मा कम आयु में ही नेक काम करती है उन्होंने समाज सेवा के माध्यम से कई सारी बाल विवाह को रोका है। हम नीरजा को नहीं भूल सकते जो अपनी जान पर खेलकर की सारी यात्रियों को आतंकी हमले से बचाती है।
ऐसे नारी हर युग में हर घर में होनी चाहिए। कौन कहता है पुरुष रूपी समाज में नारी का अस्तित्व नहीं है। नारी का अस्तित्व नारी स्वयं बनाती है।