Political Science, asked by arjungurjar118, 1 month ago

21वी सदी में भारत की विदेश नीति के samaksh chunotiya ki vivechna kijiye

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Answered by tripathisanvi28
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Answer:

मैं यहां इंजीनियरी और प्रौद्योगिकी के छात्रों के समक्ष विदेश नीति पर व्याख्यान देने के लिए क्यों आया हूं? क्या वे मेरी बात को सुनने में रुचि लेंग? क्या आज का यह विषय आप लोगों से संबधित भी है?

मैं अपनी बात का प्रारंभ एक आधारभूत और स्वाभाविक बिंदु के साथ करूंगा : क्या भारत की विदेश नीति की आंतरिक और बाहरी चुनौतियां हमारे देश द्वारा सामना की जा रही चुनौतियां भी हैं। भारतीय विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य देश को उन चुनौतियों का प्रभावशाली और सफलतापूर्वक निवारण करने में सफल बनाना है। इसके साथ-साथ, विदेश नीति निर्माताओं तथा राजनयिकता के वृत्तिकों, जो ऐसे महत्वपूर्ण व्यक्ति होते हैं जिनके माध्यम से विदेश नीति के लक्ष्यों की प्राप्ति की जाती है, का यह दायित्व भी होता है कि वे अंतर्राष्ट्रीय परिवेश की निगरानी करें, उस पर प्रतिक्रिया करें तथा जहां संभव हो, अंतर्राष्ट्रीय परिवेश का निर्माण करें ताकि भारत के राष्ट्रीय हित एक प्रबुद्ध तरीके से साधे जा सकें। अन्य उपायों की आवश्यकता भी होती है तथा उन्हें तैनात भी किया जाता है, जैसे सैन्य शक्ति, आर्थिक ताकत, प्रच्छन्न कार्यवाही, सॉफ्ट पावर और सबसे ऊपर, इन सभी का एक औचित्यपूर्ण संयोजन, जो तब मिलकर स्मार्ट पावर बन जाती है।

हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती एक तेजी से बदलते गतिशील, जटिल और बहु-ध्रुवीय विश्व में नीति उपकरणों के सही मिश्रण को अवधारित करना है। इसके अलावा, एक राष्ट्र के रूप में, हमें उस स्थिति में भी हमारे बाहरी संबंधों को संतुलित बनाए रखने की आवश्यकता पर विशेषज्ञता हासिल करना जारी रखना है, जब हमारा वैश्विक दृष्टिकोण विस्तारित हो रहा है। संतुलन की कला न केवल विदेश नीति प्रबंधन के लिए केन्द्रीय है, बल्कि सरकार के लिए भी है, विशेष रूप से भारत जैसे एक विशाल, वैविध्यपूर्ण और चुनौतीपूर्ण देश में।

मुझे आशा है, आप सभी आज देश के सामने आ रही चुनौतियों की सूची बनाने में सक्षम होंगे। आइए हम यह मानते हैं कि निम्नलिखित अवयव अधिकांश लोगों की सूची में शामिल होंगे : त्वरित, व्यापक और अधिक साम्यापूर्ण आर्थिक विकास जो नौकरियां सृजित करता हो, कृषि, विनिर्माण और सेवा के तिहरे खंडों को विस्तारित करता हो, स्वच्छ हवा, जल और विद्युत की आपूर्ति सहित अवसंरचना को सुधारता हो, केन्द्रीय, राज्य और स्थानीय सरकारों द्वारा सेवाओं के अधिक कार्यकुशल वितरण के माध्यम से बेहतर शासन; भ्रष्टाचार में कमी; आतंकवाद तथा आंतरिक सुरक्षा के लिए अन्य चुनौतियों का प्रभावशाली रूप से सामना; विभिन्न क्षेत्रों में सुस्पष्ट सुधार जैसे स्वास्थ्य देखरेख, शिक्षा, पर्यावरण, महिला सुरक्षा और अधिकारिता; तथा आर्थिक सैन्य और राजनयिक शक्ति में दृष्टिगोचर संवृद्धि ताकि भारत एक महाशक्ति के रूप में उभर सके।

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