24. 'नमक की मिठास' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखें
अथवा
'भाग्य का फंदा' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
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कहानी ‘नमक’ का सारांश
सफिया एक दिन कीर्तन में गयी तो वहां पर उसने एक सिख बीबी को देखा। उन सिख बीबी को देखकर साफिया हैरान रह गई थी, किस कदर वह उसकी माँ से मिलती थी। जब साफिया ने कई बार उनकी तरफ मुहब्बत से देखा तो उन्होंने भी उसके बारे में घर की बहू से पूछा। उन्हें बताया गया कि ये मुसलमान हैं। कल ही सुबह लाहौर जा रही हैं।
लाहौर का नाम सुनकर वे उठकर साफिया के पास आ बैठीं और उसे बताने लगीं कि उनका लाहौर कितना प्यारा शहर है। बाद में कहा कि वहां से ‘‘अगर ला सको तो थोड़ा सा लाहौरी नमक लाना।’’
इस तरह हम देखते हैं कि यह भारत और पाकिस्तान के विभाजन की अत्यंत मार्मिक कहानी है। इसमें सरहद के इस पार और उस पार के लोगों के दर्द और भावनाओं का इज़हार हुआ है। पाकिस्तान से विस्थापित होकर आने वाली सिक्ख बीबी आज भी लाहौर को ही अपना वतन मानती है। वह उपहार के रूप में वहां के नमक की फ़रमाईश करती है।
पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी, गै़रकानूनी होते हुए भी, नमक ले जाने की इज़ाजत देते समय देहली को अपना वतन बताता है।
इसी प्रकार भारतीय कस्टम अधिकारी सुनील दासगुप्त कहता है कि ‘‘मेरा वतन ढाका है। राष्ट्र-राज्यों की नयी सीमा रेखाएं खींची जा चुकी हैं और मजहबी आधार पर लोग इन रेखाओं के इधर-उधर अपनी अपनी जगहें मुकर्रर कर चुके हैं, इसके बावजूद ज़मीन पर खींची गयी रेखाएं अंतर्मन तक नहीं पहुंच पायीं हैं।’’
लाहौर के कस्टम अधिकारी का यह कथन भी गौरतलब है कि ‘‘उनको यह नमक देते वक़्त मेरी तरफ से कहियेगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा, तो बाकी सब रफ़्ता-रफ़्ता ठीक हो जायेगा।’’
इस तरह यह कहानी भौगोलिक रूप से दो भागों में बंट गये देश के लागों की भावनात्मक एकता की मार्मिक कहानी है। तो यह था ‘नमक’ कहानी का सारांश।