Hindi, asked by s20766avedant00619, 4 months ago

'29' अङ्कस्य कृते पदम् चिनुत-​

Answers

Answered by surajkumar5514
1

Explanation:

- राधेश्याम द्विवेदी

भगवान की आराधना नृत्य है। नृत्य एक सशक्त अभिव्यक्ति व आकर्षक होती है। भरतनाट्यम नृत्य ईसा पूर्व 10वीं से 7वीं शताब्दी के बीच रचित चीनी कविताओं के संकलन ‘द बुक ऑफ़ सोंग्स’ के प्राक्कथन में कहा गया है- “भावनाएं द्रवित हो बनते शब्द जब शब्द नहीं होते अभिव्यक्त हम आहों से कुछ कहते हैं आहें भी अक्षम हो जायें तब गीतों का माध्यम चुनते हैं गीत नहीं पूरे पड़ते, तो अनायास हमारे हाथ नृत्य करने लगते हैं पाँव थिरकने लगते हैं” नृत्य एक सशक्त अभिव्यक्ति है जो पृथ्वी और आकाश से संवाद करती है। हमारी खुशी हमारे भय और हमारी आकांक्षाओं को व्यक्त करती है। नृत्य अमूर्त है फिर भी जन के मन के संज्ञान और बोध को परिलक्षित करता है। मनोदशाओं को और चरित्र को दर्शाता है। संसार की बहुत सी संस्कृतियों की तरह ताइवान के मूल निवासी वृत्त में नृत्य करते हैं। उनके पूर्वजों का विश्वास था कि बुरा और अशुभ वृत्त के बाहर ही रहेगा। हाथों की श्रंखला बनाकर वो एक दूसरे के स्नेह और जोश को महसूस करते हैं, आपस में बांटते हैं और सामूहिक लय पर गतिमान होते हैं। और नृत्य समानांतर रेखाओं के उस बिंदु पर होता है जहाँ रेखाएं एक-दूसरे से मिलती हुई प्रतीत होती हैं। गति और संचालन से भाव-भंगिमाओं का सृजन और ओझल होना एक ही पल में होता रहता है। नृत्य केवल उसी क्षणिक पल में अस्तित्व में आता है। यह बहुमूल्य है। यह जीवन का लक्षण है। आधुनिक युग में, भाव-भंगिमाओं की छवियाँ लाखों रूप ले लेती हैं। वो आकर्षक होती है। परन्तु ये नृत्य का स्थान नहीं ले सकतीं क्योंकि छवियाँ सांस नहीं लेती। नृत्य जीवन का उत्सव है।

MARK ME AS BRAINLIST

Similar questions