29. क्रोक्ति सिद्धांत की महत्वपूर्ण उपलब्धि है
(A) वर्ण्य विषय की प्रतिष्ठा
(H) कलावाद की प्रतिष्ठा
(C) आत्मवाद की प्रतिष्ठा
(D) भाववाद की प्रतिष्ठा
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वक्रोक्ति दो शब्दों 'वक्र' और 'उक्ति' की संधि से निर्मित शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ है- ऐसी उक्ति जो सामान्य से अलग हो। टेढा कथन अर्थात जिसमें लक्षणा शब्द शक्ति हो। भामह ने वक्रोक्ति को एक अलंकार माना था। उनके परवर्ती कुन्तक ने वक्रोक्ति को एक सम्पूर्ण सिद्धान्त के रूप में विकसित कर काव्य के समस्त अंगों को इसमें समाविष्ट कर लिया। इसलिए कुन्तक को वक्रोक्ति संप्रदाय का प्रवर्तक आचार्य माना जाता है।
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