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1. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
अचल पहले तो चुप रहा फिर एक गर्वीली मुस्कान के साथ बोला, मैं अपने ऊपर से
गुजरती हुई ट्रेन को सहा है दोस्त ! ये हल्के-फुल्के मजाक और फब्तियाँ भला क्या बिगाड़
पायेंगी मेरा। और अब उसे लग रहा था कि उसके पैर हाड़मांस के नहीं, लकड़ी के नहीं,
साहस के कभी न थकने वाले पाँवो के सहारे वह जीवन की बीहड राहों पर बढ़ता चला जा
रहा था।
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