Hindi, asked by Anonymous, 10 months ago

3. “ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।"
• लेखक को ऐसा क्यों लगा?​

Answers

Answered by shishir303
187

लेखक जैसे ही बस में बैठा और बस का इंजन चालू हुआ तो बस के इंजन के शोर और कंपन से पूरी बस हिलने लगी। बस के इंजन का शोर पूरी बस में गूँज रहा था। बस की खिड़किओं के शीशे बुरी तरह हिल रहे थे। हालांकि बस के अधिकांश शीशे टूट चुके थे, जो बचे थे वो इंजन के चालू होने पर हिलने लगे और उनसे किसी को चोट लगने का खतरा बढ़ गया था। लेखक को ऐसा प्रतीत हो रहा था, कि जैसे उसकी सीट के नीचे ही इंजन हो।

इन सब कारणों से लेखक को लगा कि वो बस में नही इंजन में बैठे हैं।

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Answered by Anonymous
153

Answer:

hey mate here is your answer !

Explanation:

जब बस को चालक ने स्टार्ट किया तो सारी बस में अजीब सी धड़कन उत्पन्न हुई । ऐसे में लेखक और उसके मित्रों को लगा की जैसे सारी बस ही इंजन है ऑर हम इंजन के अंदर बैठे है । अर्थात् इंजन के पूर्जी की भाँति बस के यात्रा हिल रहे थे और पूरी बस में इंजन का शोर गूँज रहा था ।

Hope it helps you if so,

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