(3) भक्ति रस की परिभाषा लिखिए।
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जहां पर ईश्वर के प्रति श्रद्धा और प्रेम का भाव हो वहां पर भक्ति रस होता है। इसका स्थाई भाव ईश्वर प्रेम होता है। भक्ति रस का स्थायी भाव देव रति होता है.
इस रस में ईश्वर कि अनुरक्ति और अनुराग का वर्णन होता है। अर्थात इस रस में ईश्वर के प्रति प्रेम का वर्णन किया जाता है।
भक्ति रस उदाहरण
उलट नाम जपत जग जाना
वल्मीक भए ब्रह्म समाना
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भक्ति रस का स्थायी भाव देव रति होता है इस रस में भगवान की आनुरक्ति और आनुराग वर्णन होता है अर्थात् इस रस में ईश्वर के प्रति प्रेम का वर्णन किया जाता है
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