Hindi, asked by jatavshivani01846, 8 months ago

3. 'इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है' में ऊँचा उठने का क्या अर्थ है?​

Answers

Answered by adarshgangwar95
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Answer:

कविता 'इतने ऊँचे उठो' का सप्रसंग भावार्थ इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है। ... अर्थ: प्रस्तुत पद्य पंक्तियों में कवि कहते हैं कि हमें नए समाज निर्माण में अपनी नई सोच को जाति, धर्म, रंग-द्वेष आदि जैसे भेदभावों से ऊपर उठकर सभी को समानता की दृष्टि से देखना चाहिये।

Answered by bhatiamona
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'इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है' में ऊँचा उठने का क्या अर्थ है?​

'इतना ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है।' में ऊँचा उठने का अर्थ यह है कि कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहता है कि हमें अपने समाज निर्माण में अपनी नई सोच को लाना होगा और उस नई सोच को इस तरह सर्वोत्तम बनाना होगा, जिसमें धर्म, जाति, वर्ण, लिंग आदि जैसे भेदभाव की कोई जगह ना हो। हमें स्वयं को इतना ऊँचा उठाना होगा, जितना ऊँचा यह आकाश है। अर्थात हमें अपने चरित्र का निर्माण इतने उच्च स्तर का करना होगा जोकि सर्वोत्तम चरित्र वाले मनुष्यों का चरित्र होता है। एक उज्जवल चरित्रवान व्यक्ति से युक्त समाज सर्वोत्तम समाज की श्रेणी में आता है।

कवि यहां पर यहाँ पर ऊँचा उठने का आशय अपने उज्ज्वल चरित्र के निर्माण को बता रहा है।

#SPJ2

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मन का विकल्प क्या है?

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निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना पर पूछे गए प्रश्न का उत्तर दीजिए।

घोर अंधकार हो,

चल रही बयार हो,

आज द्वार-द्वार पर वह दिया बुझे नहीं

यह निशीथ का दिया ला रहा विहान है।

शक्ति का दिया हुआ,

शक्ति को दिया हुआ, enka arth

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