Hindi, asked by shakuntalagupta015, 4 months ago

3) नेहरु जी का पत्र भारत के बच्चो के नाम आपने पढ़ा। नेहरूडी को इस पत्र का जवाब निश्विए,पत्र के रूप में।​

Answers

Answered by praveen5199
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Answer:

marko call karo

Explanation:

jaldi samja aur message bhi karna karoga na usliya ma rukhahu

Answered by abhishekbora191
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Answer:

Explanation:

मैं आज तुम्हें पुराने जमाने की सभ्यता का कुछ हाल बताता हूं. लेकिन इसके पहले हमें यह समझ लेना चाहिए कि सभ्यता का अर्थ क्या है? कोश में तो इसका अर्थ लिखा है अच्छा करना, सुधारना, जंगली आदतों की जगह अच्छी आदतें पैदा करना. और इसका व्यवहार किसी समाज या जाति के लिए ही किया जाता है. आदमी की जंगली दशा को, जब वह बिल्कुल जानवरों-सा होता है, बर्बरता कहते हैं. सभ्यता बिल्कुल उसकी उलटी चीज है. हम बर्बरता से जितनी ही दूर जाते हैं उतने ही सभ्य होते जाते हैं.

लेकिन हमें यह कैसे मालूम हो कि कोई आदमी या समाज जंगली है या सभ्य? यूरोप के बहुत-से आदमी समझते हैं कि हमीं सभ्य हैं और एशियावाले जंगली हैं. क्या इसका यह सबब है कि यूरोपवाले एशिया और अफ्रीकावालों से ज्यादा कपड़े पहनते हैं? लेकिन कपड़े तो आबोहवा पर निर्भर करते हैं. ठंडे मुल्क में लोग गर्म मुल्कवालों से ज्यादा कपड़े पहनते हैं. तो क्या इसका यह सबब है कि जिसके पास बंदूक है वह निहत्थे आदमी से ज्यादा मजबूत और इसलिए ज्यादा सभ्य है? चाहे वह ज्यादा सभ्य हो या न हो, कमजोर आदमी उससे यह नहीं कह सकता कि आप सभ्य नहीं हैं. कहीं मजबूत आदमी झल्ला कर उसे गोली मार दे, तो वह बेचारा क्या करेगा?

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तुम्हें मालूम है कि कई साल पहले एक बड़ी लड़ाई हुई थी! दुनिया के बहुत से मुल्क उसमें शरीक थे और हर एक आदमी दूसरी तरफ के ज्यादा से ज्यादा आदमियों को मार डालने की कोशिश कर रहा था. अंग्रेज जर्मनी वालों के खून के प्यासे थे और जर्मन अंग्रेजों के खून के. इस लड़ाई में लाखों आदमी मारे गए और हजारों के अंग-भंग हो गए कोई अंधा हो गया, कोई लूला, कोई लंगड़ा.

तुमने फ्रांस और दूसरी जगह भी ऐसे बहुत-से लड़ाई के जख्मी देखे होंगे. पेरिस की सुरंगवाली रेलगाड़ी में, जिसे मेट्रो कहते हैं, उनके लिए खास जगहें हैं. क्या तुम समझती हो कि इस तरह अपने भाइयों को मारना सभ्यता और समझदारी की बात है? दो आदमी गलियों में लड़ने लगते हैं, तो पुलिसवाले उनमें बीच बचाव कर देते हैं और लोग समझते हैं कि ये दोनों कितने बेवकूफ हैं. तो जब दो बड़े-बड़े मुल्क आपस में लड़ने लगें और हजारों और लाखों आदमियों को मार डालें तो वह कितनी बड़ी बेवकूफी और पागलपन है. यह ठीक वैसा ही है जैसे दो वहशी जंगलों में लड़ रहे हों. और अगर वहशी आदमी जंगली कहे जा सकते हैं तो वह मूर्ख कितने जंगली हैं जो इस तरह लड़ते हैं?

अगर इस निगाह से तुम इस मामले को देखो, तो तुम फौरन कहोगी कि इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, इटली और बहुत से दूसरे मुल्क जिन्होंने इतनी मार-काट की, जरा भी सभ्य नहीं हैं. और फिर भी तुम जानती हो कि इन मुल्कों में कितनी अच्छी-अच्छी चीजें हैं और वहां कितने अच्छे-अच्छे आदमी रहते हैं.

अब तुम कहोगी कि सभ्यता का मतलब समझना आसान नहीं है, और यह ठीक है. यह बहुत ही मुश्किल मामला है. अच्छी-अच्छी इमारतें, अच्छी-अच्छी तस्वीरें और किताबें और तरह-तरह की दूसरी और खूबसूरत चीजें जरूर सभ्यता की पहचान हैं. मगर एक भला आदमी जो स्वार्थी नहीं है और सबकी भलाई के लिए दूसरों के साथ मिल कर काम करता है, सभ्यता की इससे भी बड़ी पहचान है. मिल कर काम करना अकेले काम करने से अच्छा है और सबकी भलाई के लिए एक साथ मिल कर काम करना सबसे अच्छी बात है.

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