Hindi, asked by ajityadav6009, 6 months ago

3. 'नोटिस बोर्ड' व्युत्पति के आधार पर शब्द के किस भेद का उदाहरण है?

Answers

Answered by adarshraj313
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Answer:

शब्द की परिभाषा- एक या अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि शब्द कहलाता है। जैसे- एक वर्ण से निर्मित शब्द-न (नहीं) व (और) अनेक वर्णों से निर्मित शब्द-कुत्ता, शेर,कमल, नयन, प्रासाद, सर्वव्यापी, परमात्मा।

Answered by shikhersingh
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Answer:

indi Grammar

Shabad Vichar(Etymology)(शब्द विचार)

(ई) अँगरेजी शब्द

(अँगरेजी) तत्सम तद्भव (अँगरेजी) तत्सम तद्भव

ऑफीसर अफसर थियेटर थेटर, ठेठर

एंजिन इंजन टरपेण्टाइन तारपीन

डॉक्टर डाक्टर माइल मील

लैनटर्न लालटेन बॉटल बोतल

स्लेट सिलेट कैप्टेन कप्तान

हास्पिटल अस्पताल टिकट टिकस

इनके अतिरिक्त, हिन्दी में अँगरेजी के कुछ तत्सम शब्द ज्यों-के-त्यों प्रयुक्त होते है। इनके उच्चारण में प्रायः कोई भेद नहीं रह गया है। जैसे- अपील, आर्डर, इंच, इण्टर, इयरिंग, एजेन्सी, कम्पनी, कमीशन, कमिश्रर, कैम्प, क्लास, क्वार्टर, क्रिकेट, काउन्सिल, गार्ड, गजट, जेल, चेयरमैन, ट्यूशन, डायरी, डिप्टी, डिस्ट्रिक्ट, बोर्ड, ड्राइवर, पेन्सिल, फाउण्टेन, पेन, नम्बर, नोटिस, नर्स, थर्मामीटर, दिसम्बर, पार्टी, प्लेट, पार्सल, पेट्रोल, पाउडर, प्रेस, फ्रेम, मीटिंग, कोर्ट, होल्डर, कॉलर इत्यादि।

(उ) पुर्तगाली शब्द

हिन्दी पुर्तगाली

अलकतरा Alcatrao

अनत्रास Annanas

आलपीन Alfinete

आलमारी Almario

बाल्टी Balde

किरानी Carrane

चाबी Chave

फीता Fita

तम्बाकू Tabacco

इसी तरह, आया, इस्पात, इस्तिरी, कमीज, कनस्टर, कमरा, काजू, क्रिस्तान, गमला, गोदाम, गोभी, तौलिया, नीलाम, परात, पादरी, पिस्तौल, फर्मा, मेज, साया, सागू आदि पुर्तगाली तत्सम के तद्भव रूप भी हिन्दी में प्रयुक्त होते है।

ऊपर जिन शब्दों की सूची दी गयी है उनसे यह स्पष्ट है कि हिन्दी भाषा में विदेशी शब्दों की कमी नहीं है। ये शब्द हमारी भाषा में दूध-पानी की तरह मिले है। निस्सन्देह, इनसे हमारी भाषा समृद्ध हुई है।

रचना अथवा बनावट के अनुसार शब्दों का वर्गीकरण

शब्दों अथवा वर्णों के मेल से नये शब्द बनाने की प्रकिया को 'रचना या बनावट' कहते है।

कई वर्णों को मिलाने से शब्द बनता है और शब्द के खण्ड को 'शब्दांश' कहते है। जैसे- 'राम में शब्द के दो खण्ड है- 'रा' और 'म'। इन अलग-अलग शब्दांशों का कोई अर्थ नहीं है। इसके विपरीत, कुछ ऐसे भी शब्द है, जिनके दोनों खण्ड सार्थक होते है। जैसे- विद्यालय। इस शब्द के दो अंश है- 'विद्या' और 'आलय'। दोनों के अलग-अलग अर्थ है।

(4)व्युत्पत्ति या रचना की दृष्टि से शब्द भेद

वर्णो के योग से शब्दों की रचना होती है। रचना या बनावट के आधार पर शब्दों को निम्नलिखित तीन वर्गों में बाँटा गया है :

(i)रूढ़ (ii )यौगिक और (iii)योगरूढ़।

(i)रूढ़ शब्द :- जो शब्द हमेशा किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हो तथा जिनके खण्डों का कोई अर्थ न निकले, उन्हें 'रूढ़' कहते है।

दूसरे शब्दों में- वे शब्द जो परंपरा से किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या प्राणी आदि के लिए प्रयोग होते चले आ रहे हैं, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं।

सरल शब्दों में- जिन शब्दों के खण्ड सार्थक न हों, उन्हें 'रूढ़' कहते है।

इन शब्दों के खंड करने पर इनका कोई अर्थ नहीं निकलता यानी खंड करने पर ये शब्द अर्थहीन हो जाते हैं ;

जैसे- 'नाक' शब्द का खंड करने पर 'ना' और 'क', दोनों का कोई अर्थ नहीं है।

उसी तरह 'कान' शब्द का खंड करने पर 'का' और 'न', दोनों का कोई अर्थ नहीं है।

(ii)यौगिक शब्द :-जो शब्द अन्य शब्दों के योग से बने हो तथा जिनके प्रत्येक खण्ड का कोई अर्थ हो, उन्हें यौगिक शब्द कहते है।

दूसरे शब्दों में- ऐसे शब्द, जो दो शब्दों के मेल से बनते है और जिनके खण्ड सार्थक होते है, यौगिक कहलाते है।

'यौगिक' यानी योग से बनने वाला। वे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बनते हैं, उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं।

दो या दो से अधिक रूढ़ शब्दों के योग से यौगिक शब्द बनते है; जैसे- आग-बबूला, पीला-पन, दूध-वाला, घुड़-सवार, डाक +घर, विद्या +आलय

यहाँ प्रत्येक शब्द के दो खण्ड है और दोनों खण्ड सार्थक है।

(iii)योगरूढ़ शब्द :- जो शब्द अन्य शब्दों के योग से बनते हो, परन्तु एक विशेष अर्थ के लिए प्रसिद्ध होते है, उन्हें योगरूढ़ शब्द कहते है।

अथवा- ऐसे यौगिक शब्द, जो साधारण अर्थ को छोड़ विशेष अर्थ ग्रहण करे, 'योगरूढ़' कहलाते है।

दूसरे शब्दों में- योग + रूढ़ यानी योग से बने रूढ़ (परंपरा) हो गए शब्द। वे शब्द जो यौगिक होते हैं, परंतु एक विशेष अर्थ के लिए रूढ़ हो जाते हैं, योगरूढ़ शब्द कहलाते है।

मतलब यह कि यौगिक शब्द जब अपने सामान्य अर्थ को छोड़ विशेष अर्थ बताने लगें, तब वे 'योगरूढ़' कहलाते है।

जैसे- लम्बोदर, पंकज, दशानन, जलज इत्यादि ।

लम्बोदर =लम्ब +उदर बड़े पेट वाला )=गणेश जी

दशानन =दश +आनन (दस मुखों वाला _रावण)

'पंक +ज' अर्थ है कीचड़ से (में) उत्पत्र; पर इससे केवल 'कमल' का अर्थ लिया जायेगा, अतः 'पंकज 'योगरूढ़ है।

ऐसे शब्द केवल अपने रूढ़ अर्थ को प्रकट करने वाले प्राणी, शक्ति, वस्तु या स्थान के लिए ही प्रयोग किए जाते हैं।

बहुव्रीहि समास ऐसे शब्दों के अंतर्गत आते हैं।

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