3/नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार-व्यवहारों का वर्ण<br />करें।
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नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार-व्यवहारों का वर्णन
नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार-व्यवहारों का वर्णनकरें।
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नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार-व्यवहारों का वर्णन
नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार-व्यवहारों का वर्णनकरें।
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❥इस काल में अनेक ऐसे धार्मिक समूह ब्रेड जिन्होंने साधारण तर्क वितर्क का सहारा लेकर रूढ़िवादी धर्म के कर्मकांड और अन्य बनावटी पहलुओं तथा समाज व्यवस्था की आलोचना की उसमें नाथपंथी स्थित चार और योगी जानू लिखनी है उन्होंने संचार का परित्याग करने का समर्थन किया उनके विचार से निराकार परम सत्य का चिंतन मनन और उसके साथ एक हो जाने की अनुमति मौत का मार्ग है इसके लिए उन्होंने अपने योगासन प्राणायाम और चिंतन मन जैसी क्रियाओं के माध्यम से मन एवं शरीर को कठोर परीक्षा देने की आवश्यकता पर बल दिया यह जम्मू खासतौर पर निश्चित ही जाने वाली जातियों में बहुत लोकप्रिय हुए उनके द्वारा की गई रूढ़िवादी धर्म की आलोचना ने भक्तमाल भी धर्म के लिए आधार तैयार किया जो आगे चलकर उत्तरी भारत में लोकप्रिय बन गया .
❥आशा है यह उत्तर आपकी मदद करेगा
Answer:
नाथपंथी, सिद्ध और योगी दुनिया के त्याग में विश्वास करते थे।
नाथपंथी, सिद्ध और योगी दुनिया के त्याग में विश्वास करते थे।उन्होंने पारंपरिक धर्म और सामाजिक व्यवस्था के अनुष्ठान और अन्य पहलुओं की आलोचना की।
नाथपंथी, सिद्ध और योगी दुनिया के त्याग में विश्वास करते थे।उन्होंने पारंपरिक धर्म और सामाजिक व्यवस्था के अनुष्ठान और अन्य पहलुओं की आलोचना की।उनके अनुसार, निराकार परमात्मा का ध्यान तथा उसके साथ एक हो जाने का आभास मुक्ति का मार्ग है।