3. पत्रकारिता से क्या आशय है? इसके विभिन्न प्रकारों को विस्तार से लिखिए।
Answers
Mark me as the brainiliest
Explanation:
पत्रकारिता आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है जिसमें समाचारों का एकत्रीकरण, लिखना, जानकारी एकत्रित करके पहुँचाना, सम्पादित करना और सम्यक प्रस्तुतीकरण आदि सम्मिलित हैं। आज के युग में पत्रकारिता के भी अनेक माध्यम हो गये हैं; जैसे - अखबार, पत्रिकायें, रेडियो, दूरदर्शन, वेब-पत्रकारिता आदि। बदलते वक्त के साथ बाजारवाद और पत्रकारिता के अन्तर्सम्बन्धों ने पत्रकारिता की विषय-वस्तु तथा प्रस्तुति शैली में व्यापक परिवर्तन किए।
वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता सरकारी गजट या नोटिफ़िकेशन बनकर रह गई है। लगभग सभी मिडिया संस्थान और चैनल दिन रात सरकार का गुणगान करते हैं। इक्कीसवीं सदी में दुनिया विज्ञान और टेक्नोलॉजी पर बात कर रही है परन्तु भारतीय मीडिया धर्म, जातिवाद, मन्दिर मस्जिद की तथाकथित राजनीति से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। इस तरह की पत्रकारिता भारतीय समाज में अन्धविश्वास, धार्मिक उन्माद, सामाजिक विघटन ही पैदा करेगी। वर्तमान समय में मिडिया की नजरों में सेक्युलर, उदारवादी या संविधानवादी होना स्वयं में एक गाली हो गया है।
पण्डित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, सुभाष चन्द्र बोस ओर मोलाना आजाद के सपनों का भारत वाकई में बहुत खुबसूरत ओर खुशहाल हैं ओर इस भारत को हम इस तरह अन्धविश्वास, तथाकथित धार्मिक उन्माद ओर जड़ता की ओर नहीं जाने देगे।
Answer:
पत्रकारिता आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है जिसमें समाचारों का एकत्रीकरण, लिखना, जानकारी एकत्रित करके पहुँचाना, सम्पादित करना और सम्यक प्रस्तुतीकरण आदि सम्मिलित हैं। आज के युग में पत्रकारिता के भी अनेक माध्यम हो गये हैं; जैसे - अखबार, पत्रिकायें, रेडियो, दूरदर्शन, वेब-पत्रकारिता आदि। बदलते वक्त के साथ बाजारवाद और पत्रकारिता के अन्तर्सम्बन्धों ने पत्रकारिता की विषय-वस्तु तथा प्रस्तुति शैली में व्यापक परिवर्तन किए।
वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता सरकारी गजट या नोटिफ़िकेशन बनकर रह गई है। लगभग सभी मिडिया संस्थान और चैनल दिन रात सरकार का गुणगान करते हैं। इक्कीसवीं सदी में दुनिया विज्ञान और टेक्नोलॉजी पर बात कर रही है परन्तु भारतीय मीडिया धर्म, जातिवाद, मन्दिर मस्जिद की तथाकथित राजनीति से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। इस तरह की पत्रकारिता भारतीय समाज में अन्धविश्वास, धार्मिक उन्माद, सामाजिक विघटन ही पैदा करेगी। वर्तमान समय में मिडिया की नजरों में सेक्युलर, उदारवादी या संविधानवादी होना स्वयं में एक गाली हो गया है।
पण्डित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, सुभाष चन्द्र बोस ओर मोलाना आजाद के सपनों का भारत वाकई में बहुत खुबसूरत ओर खुशहाल हैं ओर इस भारत को हम इस तरह अन्धविश्वास, तथाकथित धार्मिक उन्माद ओर जड़ता की ओर नहीं जाने देगे।
Explanation:
HOPE IT HELPS!!
MARK THIS ANSWER AS BRAINLIEST!
AND YEAH WE ARE ON 7 DAYS 500 FOLLOOWERS CHALLENGE
LETSSSSSSSS GOOOOOOOOOOO!