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QUESTION BANK
र्थ
औरे भाँति कुंजन में गुजरत भीर भौंर,
औरे डौर झौरन पैं, बौरन के हवै गये ।
कहैं पद्माकर सु औरे भाँति गलियानि,
छलिया छबीले छैल और छबि छवै गये।
औरै भाँति बिहा-समाज में आवाज होति,
ऐसे रितुराज के न आज दिन वै गये ।
और रस और रीति औरै राग औरै रंग,
औरै तन औरै मन औरै बन हवे गये || bhav spasht
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