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तुलसीदास जब स्वांत सुखाय काव्य-रचना करते हैं, तब अभिप्राय यह नहीं रहता
मानव-समाज के लिए इस रचना का उपयोग
संपूर्ण संसार की सुख-भावना एवं हित कामना
उन्हीं के हाथों स्थायी एवं प्रेरणाप्रद साहित्य का सृजन होना
IV. उपरोक्त अभी विकल्प अनुचित है
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भक्ति भावना- तुलसीदास के काव्य की प्रथम विशेषता उसमें निहित आदर्श भक्ति-भावना का है। उन्होंने अपने काव्य में राम को अपना इष्टदेव घोषित किया है तथा उनके प्रति दास्य-भाव की भक्ति को दर्शाया है। ... इसी प्रकार उन्होंने अपने काव्य में निर्गुण-सगुण, वैष्णव-शाक्त, राजा-प्रजा, भक्ति और कर्म सभी में समन्वय स्थापित किया है।
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