3 दिसंबर 1984 को भोपाल में एक फैक्ट्री से मिथाइल आइसो साइनेट नामक एक बेहद जहरीली एवं जानलेवा गैस रिसकर हवा
में मिल गई। इस गैस का रिसाव इतनी जल्दी हुआ कि फैक्ट्री के आस-पास रहने वाले लोग भाग भी न सके। वैसे भी यह रात के
समय हुआ था। इस जहरीली गैस की मात्रा इतनी अधिक थी कि लोगों को उसी समय साँस लेने में परेशानी होने लगी। लोगों ने
वहाँ से भागना चाहा पर वे भाग न सके और असमय मौत का शिकार बन गए। लाखों लोग श्वसन तंत्र की बीमारियों का शिकार
बन गए और बाद में भी कई लोग मर गए। यहाँ तक कि उस समय के बाद कुछ सालों तक अपंग बच्चे पैदा हुए या उन्हें श्वास
संबंधी कोई रोग था। पेड़-पौधों के पत्ते काले होते गए और वे नष्ट हो गए। आज इतने सालों बाद भी लोग इन बीमारियों का
परिणाम भुगत रहे हैं।
(क) लोग किस बीमारी का शिकार हो गए?
प्रवण संबंधी
नेत्र संबंधी
श्वसन संबंधी
(ख) 1984 भोपाल की फैक्ट्री में कौन-सी दुर्घटना घटी?
(ग) लोग चाहकर भी क्यों न भाग सके?
(घ) विज्ञान मनुष्य के लिए एक वरदान है या अभिशाप इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
(ड) प्रथम पंक्ति में आए हुए शब्द गैस' का नाम लिखिए।
मुख संबंधी
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क. श्वसन संबंधी
ख. 3 दिसंबर 1984 को भोपाल में एक फैक्ट्री से मिथाइल आइसो साइनेट नामक एक बेहद जहरीली एवं जानलेवा गैस रिसकर हवा
में मिल गई।
ग. जहरीली गैस की मात्रा इतनी अधिक थी कि लोगों को उसी समय साँस लेने में परेशानी होने लगी। लोगों ने
वहाँ से भागना चाहा पर वे भाग न सके
ड. मिथाइल आइसो साइनेट
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