3. यमक और श्लेष में अन्तर उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए
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जब किसी काव्य में एक ही शब्द में से कई अर्थ निकलते हों तब वहां श्लेष अलंकार होता है। किसी काव्य में यमक अलंकार होने के लिए एक ही शब्द कि कम से कम दो बार आवृति होनी जरुरी है। ... इस उदाहरण में आप देख सकते हैं कि 'कनक' शब्द की दो बार आवृति हुई है। पहली बार कनक का मतलब धतुरा है तो दूसरी बार कनक का मतलब स्वर्ण है।
यमक अलंकार- वे अलंकार जिसमें कोई शब्द एक से अधिक बार आए परंतु उनके अलग-अलग अर्थ हो वह यमक अलंकार कहलाता है, उदाहरण- कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय ।जो खाए बौ राय जो पाए बौराय। इसमे पहले कनक का अर्थ धतूरा है। तो दूसरे कनक का अर्थ सोना है। शलेष अलंकार = जहां पर कोई शब्द एक ही बार आए परंतु उसके अर्थ अलग-अलग निकले उसे श्लेष अलंकार कहते हैं। उदाहरण= रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।पानी गए ना उबरे मोती मानुष चून।। इसमें पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया गया है, पहले पानी का अर्थ विनम्रता से तथा दूसरे पानी का अर्थ तेज चमक से तथा तीसरे पानी का अर्थ जल (चून) से है।