30muhavare ki khani
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भाषा की सुंदर रचना हेतु मुहावरों एवं लोकोक्तियों का प्रयोग आवश्यक माना जाता है। ये दोनों भाषा को सजीव, प्रवाहपूर्ण एवं आकर्षक बनाने में सहायक होते हैं। यही कारण है कि हिन्दी भाषा में विभिन्न मुहावरों एवं लोकोक्तियों का अक्सर प्रयोग होते हुए देखा गया है।
'मुहावरा' शब्द अरबी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है- अभ्यास। मुहावरा अतिसंक्षिप्त रूप में होते हुए भी बड़े भाव या विचार को प्रकट करता है। जबकि 'लोकोक्तियों' को 'कहावतों' के नाम से भी जाना जाता है।
साधारणतया लोक में प्रचलित उक्ति को लोकोक्ति नाम दिया जाता है। कुछ लोकोक्तियाँ अंतर्कथाओं से भी संबंध रखती हैं, जैसे भगीरथ प्रयास अर्थात जितना परिश्रम राजा भगीरथ को गंगा के अवतरण के लिए करना पड़ा, उतना ही कठिन परिश्रम करने से सफलता मिलती है। संक्षेप में कहा जाए तो मुहावरे वाक्यांश होते हैं, जिनका प्रयोग क्रिया के रूप में वाक्य के बीच में किया जाता है, जबकि लोकोक्तियाँ स्वतंत्र वाक्य होती हैं, जिनमें एक पूरा भाव छिपा रहता है।
मुहावरा : विशेष अर्थ को प्रकट करने वाले वाक्यांश को मुहावरा कहते है। मुहावरा पूर्ण वाक्य नहीं होता, इसीलिए इसका स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं किया जा सकता । मुहावरे का प्रयोग करना और ठीक-ठीक अर्थ समझना बड़ा कठिन है,यह अभ्यास से ही सीखा जा सकता है।
कुछ प्रसिद्ध मुहावरे और लोकोक्तियाँ उनकी कथाओं सहित नीचे दिए जा रहे हैl
एक नगर सेठ थे. अपनी पदवी के अनुरुप वे अथाह दौलत के स्वामी थे. घर, बंगला, नौकर-चाकर थे. एक चतुर मुनीम भी थे जो सारा कारोबार संभाले रहते थे.
किसी समारोह में नगर सेठ की मुलाक़ात नगर-वधु से हो गई. नगर-वधु यानी शहर की सबसे ख़ूबसूरत वेश्या. अपने पेश की ज़रुरत के मुताबिक़ नगर-वधु ने मालदार व्यक्ति जानकर नगर सेठ के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया. फिर उन्हें अपने घर पर भी आमंत्रित किया.