329/400 को दशमलव रप में लिखें यह किस प्रकार का दशमलव प्रसार है
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परिमेय संख्याओं का दशमलव प्रसार
एक परिमेय संख्या का दशमलव प्रसार या सांत (टर्मिनेटिंग) होता है या अनवसानी आवर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग रेकरिंग) होता है। साथ ही वह संख्या जिसका दशमलव प्रसार सांत (टर्मिनेटिंग) या अनवसानी आवर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग रेकरिंग) है, एक परिमेय संख्या (रेशनल नम्बर) होती है।
अत: परिमेय संख्याओं को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है।
(a) परिमेय संख्या (रेशनल नम्बर) जिनका दशमलव प्रसार सांत (टर्मिनेटिंग) होता है
परिमेय संख्याएँ, जो कि
p
q
के रूप में होते हैं, में p में q से भाग देने पर शेष शून्य हो जाता है, तो उन्हें दशमलव प्रसार सांत वाले परिमेय संख्या(रेशनल नम्बर) कहते हैं।
उदाहरण
7
2
,
1
2
,
8
10
,
5
8
, आदि दशमलव प्रसार सांत वाले परिमेय संख्या (रेशनल नम्बर) हैं।
7
2
=
3.5
(सांत दशमलव प्रसार)
1
2
=
0.5
(सांत दशमलव प्रसार)
8
10
=
0.8
(सांत दशमलव प्रसार)
5
8
=
0.625
(सांत दशमलव प्रसार)
(b) परिमेय संख्या (रेशनल नम्बर) जिनका दशमलव प्रसार अनवसानी आवर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग रेकरिंग) होता है
परिमेय संख्या (रेशनल नम्बर), जिनमें p में q से भाग देने पर कुछ चरणों के बाद शेष की पुनरावृत्ति होने लगती है, जिससे दशमलव प्रसार निरंतर जारी रहता है, को अनवसानी आवर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग रेकरिंग) दशमलव प्रसार वाले परिमेय संख्या कहते हैं।
उदाहरण :
1
3
= 0.33333. . . . . . (अनवसानी आवर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग रेकरिंग) दशमलव प्रसार)
1
7
= 0.14285714285714 . . . . (अनवसानी आवर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग रेकरिंग) दशमलव प्रसार)
1
3
के भागफल में 3 की पुनरावृत्ति होती है, को दिखाने के लिए भागफल को
0
.
¯
3
या
0
.
.
3
के रूप में लिखते हैं।
उसी तरह
1
7
के भागफल में अंकों के खंड 142857 की पुनरावृत्ति होती है, उसे दिखाने के लिए भागफल को
0
.
¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯
142857
के रूप में लिखते हैं।
यहाँ अंकों के ऊपर लगाया गया दंड, अंकों के उस खंड को प्रकट करता है जिसकी पुनरावृत्ति होती है।
इस तरह हम देखते हैं कि परिमेय संख्याओं (रेशनल नम्बर) के दशमलव प्रसार के केवल दो तरह के होते हैं या तो वे सांत (टर्मिनेटिंग) होते हैं या अनवसानी (असांत) आवर्ती [नॉन टर्मिनेटिंग रेकरिंग (रिपिटिंग)] होते हैं। कुल मिलाकर
p
q
वाले संख्या जिनके दशमलव प्रसार या तो सांत (टर्मिनेटिंग) या अनवसानी (असांत) आवर्ती [नॉन टर्मिनेटिंग रेकरिंग (रिपिटिंग)] होते हैं, परिमेय संख्या (रेशनल नम्बर) कहलाते हैं।
अपरिमेय संख्या (इरेशनल नम्बर) के दशमलव प्रसार
संख्या जिनके दशमलव प्रसार अनवसानी (असांत) अनावर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग नॉन रेकरिंग) होते हैं अपरिमेय संख्या (इरेशनल नम्बर) कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में वह अपरिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसार अनवसानी (असांत) अनावर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग नॉन रेकरिंग) होते हैं।
उदाहरण
(a)
√
2
का दशमलव प्रसार = 1.414213562373 . . . . .
चूँकि
√
2
का दशमलव प्रसार अनवसानी (असांत) अनावर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग नॉन रेकरिंग) हैं अत:
s
a
r
t
2
एक अपरिमेय संख्यां है।
(b)
π
एक अपरिमेय संख्या है क्योंकि इसका दशमलव प्रसार = 3.141592653589 . . . . है, जो कि अनवसानी (असांत) अनावर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग नॉन रेकरिंग) है।
(c) उसी तरह,
22
7
,
√
5
,
√
3
,
√
7
, आदि अपरिमेय संख्याओं के उदाहरण हैं, क्योंकि इनके दशमलव प्रसार अनवसानी (असांत) अनावर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग नॉन रेकरिंग) हैं।
अपरिमेय संख्या (इरेशनल नम्बर) की परिभाषा
अपरिमेय संख्या (इरेशनल नम्बर) को निम्नांकित तीन तरीकों से परिभाषित किया जा सकता है:
(a) संख्या जिन्हें
p
q
में व्यक्त नहीं किया जा सकता, जहाँ p और q पूर्णांक संख्याएँ हैं तथा
q
≠
0
हो, को अपरिमेय संख्या (इरेशनल नम्बर) कहा जाता है।
(b) संख्या जिसका दशमलव प्रसार अनवसानी (असांत) अनावर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग नॉन रेकरिंग) होते हैं, अपरिमेय संख्या (इरेशनल नम्बर) कहलाते हैं।
(c) एक अनवसानी (असांत) अनावर्ती (नॉन टर्मिनेटिंग नॉन रेकरिंग) दशमलव प्रसार वाले संख्या अपरिमेय संख्या (इरेशनल नम्बर) कहलाते हैं।