36. विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी,
मरो, परंतु यों मरो कि याद जो करें सभी।
हुई न यों सुमृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए,
मरा नहीं वही कि जो जिया न आपके लिए।
वही पशु- प्रवृति है कि आप आप ही चरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
(1 Point)
कवि क्या सलाह दे रहा है?
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मनुष्य वही है जो दूसरों के काम आए। मनुष्य जो कर सकता है वह पशु और पक्षी नहीं कर सकते हैं। इस प्रकार मनुष्य को सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणि कहा जाता है। इसलिए हमें दूसरों का भला करना चाहिए कवि हमें यही सलाह दे रहे हैं।
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