Hindi, asked by tarannumfatima005, 8 hours ago

3941 2, गुरु नानक ने प्रेम का संदेश दिया है। उनका कथन था कि ईश्वर नाम के सम्मुख जाति और कुल के बन्धन निरर्थक हैं, क्योकि मनुष्य-जीवन का जो चरम प्राप्तव्य है, वह स्वयं प्रेमरूप है। प्रेम ही उसका स्वभाव है, प्रेम ही उसका साधन है। अरे ओ मुग्ध मनुष्य, सच्ची प्रीति से ही तेरा मान-अभिमान नष्ट होगा, तेरी छोटाई की सीमा समाप्त होगी, परम मंगलमय शिव तुझे प्राप्त होगा। उसी सच्चे प्रेम की साधना तेरे जीवन का परम लक्ष्य है। प्रश्न—(क) गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए। (ख) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए। (ग) मनुष्य-जीवन के परम लक्ष्य का स्वरुप क्या है? (घ) व्यक्ति का अभिमान किससे नष्ट होगा?​

Answers

Answered by tanvinagar
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Answer:

For each of these relations on the set [1, 2, 3, 4], we can decide whether it is

1. reflexive,

2. symmetric,

3. antisymmetric,

4. transitive.

;- [(2, 2),(2, 3),(2, 4),(3, 2),(3, 3),(3, 4)]

• Not reflexive because we do not have (1, 1), (3, 3), and (4, 4).

• Not symmetric because while we we have (3, 4), we do not have (4, 3).

• Not antisymmetric because we have both (2, 3) and (3, 2).

• Thus , Transitive because if we have (a, b) in this relation, then a will be either 2 or 3. Then (2, c)and (3, c) are in the relation for all c 6= 1.

i hope it's your help~~~~

Answered by yogendramohanchaturv
0

Answer:

answer chahiye bhai

Explanation:

hdghgshfhiifchj

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