4.अपने बचपन की किसी स्मृति पर आधारित 100 से 120 शब्दों में एक लघु कथा 'लिखिए,
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बचपन के वह दिन बहुत अच्छे और मासूम थे | जब हमें किसकी भी बात की चिन्ता नहीं होती थी | पूरा समय शरारतों मर और खेलने में निकल जाता था | कोई हमें रोकता नहीं था | बचपन के दिनों में मार भी बहुत पड़ती थी लेकिन प्यार भी बहुत मिलता था | यह आज एहसास होता है। बालपन की वह चंचलता आज भी याद आती है, जब छोटी-छोटी बातों के लिए अपने माता पिता के सामने मचल होते थे। तरह-तरह खिलौनों का संग्रह करना| घर-घर खेलना|
मैं अपने बचपन की बात करूं तो मैं बहुत शरारती थी | सबसे लड़ना और मारना तंग करना | एक बार मैंने स्कूल में अपने साथ वाले लड़की का पूरा खाना खा लिया और उसे बताया भी नहीं , जब उसे पता चला वह बहुत रोई और उसने मैडम से शिकायत लगा दी | मैडम से स्कूल में बहुत मार पड़ी | यह बात घर तक पहुंच गई | घर पर आकर भी मार पड़ी | जब धीरे-धीरे बड़े समझ आने लगा | शरारतें में बचपन अच्छी लगती है|
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op
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ia am subhom thanks 224÷7+89