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बहू बहू
बेटी और बहू को एक ही तराजू पर तौलना चाहते हो ? बेटी बेटी है और
इन शब्दों में किस व्यक्ति का रोष व्यक्त हुआ है ? उसके रोष का क्या कारण है ?
(क)
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बहू बहू बेटी और बहू को एक ही तराजू पर तौलना चाहते हो ? बेटी बेटी है और इन शब्दों में किस व्यक्ति का रोष व्यक्त हुआ है ? उसके रोष का क्या कारण है ?
इन शब्दों में एकांकी के एक पात्र जीवन लाल का रोष प्रकट हुआ है। जीवन लाल का रोष का कारण उनकी बहू कमला के मायके वालों द्वारा पर्याप्त मात्रा में दहेज ना मिलना और बारात की उचित खातेदारी ना करना है।
जब उनकी बहू कमला का भाई प्रमोद अपनी बहन की विदा कराने कराने आता है तो जीवनलाल अपनी बहू कमला की विदा नहीं करते हैं और प्रमोद को कम दहेज देने का ताना देते हैं। प्रमोद उनसे प्रार्थना करते हुए कहता है कि आपकी भी बेटी है, आपके साथ भी कोई ऐसा करे तो क्या होगा। तब जीवनलाल भड़क जाते हैं और उक्त कथन कहते हैं, कि बहू बहू होती है और बेटी बेटी। तुम बहू और बेटी को एक तराजू पर तोड़ना चाहते हो।
इस तरह जीवन लाल बहू और बेटी में अंतर मानते हैं, इस कथन से उनका बहू और बेटी के प्रति भेदभाव प्रकट होता है।