4. भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) जेब टटोली कौड़ी न पाई।
(ख) खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं,
न खाकर बनेगा अहंकारी।
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का) बहुत तलाश करने पर भी मनचाही चीज की प्राप्ति न होना।
ख)किसी काम को न करने पर अहंकारी कहलाना और कर लेने पर अच्छा परिणाम न मिलना।
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(क) “जेब टाटोली कौड़ी न पाई’ का भाव यह है कि सहज भाव से प्रभु भक्ति न करके कवयित्री
ने कठिन साधनाओं का सहारा लिया। इस कारण जीवन के अंत में कुछ भी प्राप्त न हो
सका।भगवान की चढाई के लिए उनके पास कुछ भी नहीं रहा ।
(ख) । भाव यह है कि अधिकाधिक भोग-विलास में डूबे रहने से मनुष्य को वास्तविक आनंद
नहीं मिलता है और भोग से पूरी तरह दूरी बना लेने पर उसके मन में अहंकार जाग उठता है।
ऐसी स्थिति में नुष्य को संयम बरतते हुए सदैव मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए।अर्थात भोग और
त्याग के बीच का मार्ग ही श्रेष्ठ ह
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