.-4 गुरु ने संकट की घडी में अपने चेले के प्राण कैसे बचाये
त्तर =
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गुरुजी ने कहा था कि जो इस मुहुर्त में फाँसी पर चढ़ेगा, वह चक्रवर्ती राजा बनेगा।
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गुरु ने अपनी बुद्धिमता से अपने चेले की जान संकट से बचाई l
- यह प्रश्न गुरु और चेला नामक पाठ से लिया गया है l
- जब चेले को अपराधी मानकर राजा ने उसे फांसी पर लटकाने की सजा दी l यह बात गुरु तक पहुंच गई तब गुरु राजा के दरबार पहुंचे l
- जहां उन्होंने अपनी बुद्धि का परिचय देते हुए राजा को समझाने का प्रयास किया l
- गुरु ने राजा से कहा कि आपने जिस मुहूर्त पर इसे फांसी पर चढ़ाने का आदेश दिया है उस मुहूर्त पर जो भी व्यक्ति फांसी पर चढ़ जाएगा वह चक्रवर्ती राजा बन जाएगा l
- यह सुनकर राजा के मन में लालच उत्पन्न हुआ कि उन्हें भी चक्रवर्ती राजा बनना है I
- परिणामस्वरूप उन्होंने चेले को दिए गए आदेश को खारिज कर दिया और स्वयं फांसी पर चढ़ गए इस प्रकार गुरु ने अपने चेले की जान बचाई l
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