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निम्नलिखित गद्यांश की सन्दर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या लिखिए-
इस अप्रत्याशित अनुग्रह ने उसके परों में जो पंख लगा दिए थे, वे गाँव की सीमा में पहुँचते ही झड़ गए । 'हाय
लछमिन अब आई' की अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ और स्पष्ट सहानुभूतिपूर्ण दृष्टियाँ उसे घर तक ठेल ले गई । पर
वहाँ न पिता का चिह्न शेष था, न विमाता के व्यवहार में शिष्टाचार का लेश था । दुःख से शिथिल और अपमान
से जलती हुई वह घर में पानी भी बिना पिए उलटे पैरों ससुराल लौट पड़ी।
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बहुत दिन से नैहर नहीं गई, सो जाकर देख आवे, यही कहकर और पहना-उढ़ाकर सास ने उसे विदा कर दिया। इस अप्रत्याशित अनुग्रह ने उसके पैरों में जो पंख लगा दिए थे, वे गाँव की सीमा में पहुँचते ही झड़ गए। ... दुख से शिथिल और अपमान से जलती हुई वह उस घर में पानी भी बिना पिए उलटे पैरों ससुराल लौट पड़ी।
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