Hindi, asked by krish4942, 10 months ago

। 4. निम्नलिखित विषयों पर कम से कम 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लेखन कार्य
करें |
1. इंटरनेट आज की आवश्यकता।
2. भारतः शवीं सदी की एक उभरती शक्ति
3. ग्लोबल वार्मिंग के खतरे

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Answered by kashish1211
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I am writing an answer on global warming

ग्लोबल वार्मिंग अर्थात् विश्वव्यापी तापक्रम वृद्धि से तात्पर्य विश्व के औसत तापक्रम में आई वृद्धि से है। आज पूरे विश्व के लिए यह चिंता का विषय बन चुका है। ग्लोबल वार्मिंग के अंतर्गत अनावश्यक तापक्रम वृद्धि से उत्पन्न विश्वव्यापी खतरों को चिन्हित किया जाता है।

विश्व के अधिकांश देशों ने ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को भाँप लिया है। ग्लोबल वार्मिंग ने अपनी प्रचंडता का प्रदर्शन करना प्रारंभ कर दिया है। दिन-व-दिन पृथ्वी गर्म होती जा रही है। ऐसा माना जाता है कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए सर्वाधिक विकसित एवं विकासशील देश जैसे सं0रा0अमेरिका, रूस, चीन, यूरोपीय देश एवं भारत जैसे देश इसके अंतर्गत आते हैं। परमाण्वीय तथा वैज्ञानिक प्रयोगों, लगातार बढ़ते प्रदुषणों आदि के कारण भूमण्डलीय तापक्रम तेजी से बढ़ रहा है। वाहनों तथा कल-कारखानों में अप्रत्याशित वृद्धि ने तो वायु प्रदुषण को अनियंत्रित कर दिया है। इससे वायुमंडल में कार्बन-डाय-आॅक्साइड एवं सल्फर डाय-आॅक्साइड जैसे विषाक्त गैसों की मात्रा में लगातार वृद्धि पराबैंगनी किरणों का अंश पृथ्वी तक पहुँचने लगा है और हम त्वचा संबंधी अनेक रोगों से ग्रसित होने लगे हैं। इससे ग्लोबल वार्मिंग विकराल रूप ले चुका है।

मूल प्रश्न यह है कि आखिर समस्त विश्व ग्लोबल वार्मिंग के प्रति सजगता और एकजुटता क्यों प्रदर्शित करने लगे हैं? इसका मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले पूरे विश्व के अस्तित्व के खतरे से है। पृथ्वी के तापक्रम में वृद्धि से धु्रवों पर जमी बर्फ लगातार पिघल रही है और ग्लेशियर का हा्रस होता जा रहा है। इससे महासागरों के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। इससे धु्रवीय क्षेत्रों में निवास करने वाले प्राणियों तथा पेड़-पौधों की अनेक प्रजातियाँ या तो विलुप्त हो गई हैं या विलुप्तप्राय हैं। वर्षा के वितरण में असमानता उजागर होने लगी हैं। प्राकृतिक आपदाओं में अत्यन्त वृद्धि हुई है। ऐसा माना जाता है कि यदि इसी प्रकार से वनोन्मूलन संबंधी गतिविधियां सक्रिय रहीं तो दिन-व-दिन पृथ्वी के तापक्रम में वृद्धि होती ही जाएगी और वह दिन दूर नहीं कि धु्रवों पर जमी समस्त बर्फ पिघल जाएगी और पूरी पृथ्वी जलमग्न हो जाएगी जिससे जीवों का अस्तित्व मिट जाएगा।

जैसा कि हर समस्या का समाधान भी होता है वैसा ही ग्लोबल वार्मिंग का भी समाधान है। हमारी आपसी समझ-बूझ और संसाधनों के समझदारी से उपयोग से यह संभव है। हमें वृक्षारोपण संबंधी गतिविधियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। हर उत्सव पर वृक्षारोपण को इसका अंग बनाना होगा। ग्लोबल वार्मिंग के उन्मूलन हेतू हर राष्ट् को दीर्घव्यापी उपाय ढूँढना होगा। विभिन्न राष्ट्रों को अपना मानक तैयार करना होगा जिससे इसे नियंत्रण में रखा जा सके। अनावश्यक वैज्ञानिक गतिविधियों, वैज्ञानिक परीक्षणों, वाहनों की संख्या में होने वाले अप्रत्याशित वृद्धि, कल-कारखानों से उत्सर्जित पदार्थों को नियंत्रित करना होगा। इस प्रकार जन जागरूकता और आपसी सूझबूझ से ग्लोबल वार्मिंग के दैत्य को सदा सर्वदा के लिए समाप्त किया जा सकता है।

अतः आज के युवाओं को प्रदुषण को नियंत्रित करने हेतू सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों में हिस्सेदार बनना चाहिए। उन्हें प्रदुषण को नियंत्रित करने हेतु जनजागरण के कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना चाहिए। पूरे विश्व में अस्त्र-षस्त्रों की होड़ तथा गैर-जरूरी वैज्ञानिक गतिविधियों को प्रतिबंधित करना होगा तभी हम प्रदुषणरहित विश्व की कल्पना कर सकते हैं।


krish4942: aby chal baki ke kaahan hai
kashish1211: abbe ek to likha na
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