Hindi, asked by sumeldebbarma, 1 day ago

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पुष्प की अभिलाषा
यह पाठ सिखाता है- देशभक्ति की भाना देशभक्तों का सम्मान
चाह नहीं, मैं सुरबाला के
गहनों में गूंथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध
प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर
हे हरि डाला जाऊँ.
चाह नहीं देवों के सिर पर
च₹ भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक!
मातृ-भूमि पर शीश-चढ़ाने,
जिस पथ पर जावें वीर अनेक!
-माखनलाल चतुर्वेदी​

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Answered by rishirajrai6
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Answer:

nice poem by the author.

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