Social Sciences, asked by supriyadongare77, 2 months ago

4. Project Work Methodology प्रकल्प कार्यपद्धती​

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Answered by bannybannyavvari
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Answer:

पार्कर के अनुसार, ’’प्रोजेक्ट कार्य की एक इकाई है, जिसमें छात्रों को कार्य की योजना और सम्पन्नता के लिए उत्तरदायी बनाया जाता है।’’

⇒ बेलार्ड के अनुसार, ’’प्रोजेक्ट यथार्थ जीवन का एक ही भाग है जो विद्यालय में प्रयोग किया जाता है।’’

⇔ स्टीवेन्सन के अनुसार, ’’ प्रोजेक्ट एक समस्यामूलक कार्य है, जो स्वाभाविक स्थिति में पूरा किया जाता है।’’

Answered by dualadmire
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Answer: हम चाहते हैं कि शिक्षा वास्तविक जीवन की गहराई में प्रवेश करे, केवल सामाजिक जीवन में ही नहीं वरन उस उत्तम जीवन में जिसकी हम आशा करते है।

Explanation:

  • पार्कर के अनुसार, ’’प्रोजेक्ट कार्य की एक इकाई है, जिसमें छात्रों को कार्य की योजना और सम्पन्नता के लिए उत्तरदायी बनाया जाता है।’’
  • बेलार्ड के अनुसार, ’’प्रोजेक्ट यथार्थ जीवन का एक ही भाग है जो विद्यालय में प्रयोग किया जाता है।’’
  • स्टीवेन्सन के अनुसार, ’’ प्रोजेक्ट एक समस्यामूलक कार्य है, जो स्वाभाविक स्थिति में पूरा किया जाता है।’’

– प्रायोजना विधि निम्रलिखित सिद्धान्तों पर आधारित है –

1. रोचकता -बालक स्वयं ही किसी समस्या के प्रोजेक्ट या कार्य को चुनते है।

2. प्रायोजना उद्देश्य – जो समस्या बालकों को हल करने के लिए दी जाती है वह उद्देश्यपूर्ण होती है।

3. क्रियाशीलता-

⇒ बालक स्वभाव से ही क्रियाशील है। उनके अन्दर जिज्ञासा, चिन्तन, तर्क-शक्ति तथा संग्रह आदि की जो प्रवृत्तियाँ हैं, वे उन्हें किसी क्रिया के लिए प्रेरित करती हैं।

⇒ प्रोजेक्ट विधि में बालक एवं शिक्षक क्रियाशील रहते हैं। इससे स्थाई एवं उपयोगी शिक्षा प्राप्त होती है।

4. वास्तविकता या यथार्थता –

⇒ प्रोजेक्ट के द्वारा जो भी कार्य कराया जाता है वह वास्तविक परिस्थितियों के अनुकूल होता है जिसके फलस्वरूप बालकों को प्रेरणा मिलती है। अतः शिक्षा को बालकों के जीवन सेजोङा जाता है।

5. सामाजिकता –

⇒ बालक समाज का एक अंग है। प्रोजेक्ट विधि द्वारा बालकों को अनेक ऐसे अवसर प्रदान किये जाते हैं जिनके द्वारा उनको सामाजिक जीवन का अनुभव हो सके तथा उनके अन्दर सहयोग, सद्भावना, प्रेम और सहकारिता जैसे सामाजिक गुणों का विकास हो।

6. उपयोगिता-

⇒ उपयोगिता वाले कार्यों में ही बालक की रूचि उत्पन्न होती है। रूचि ही किसी प्रायोजना का मनोवैज्ञानिक तत्व है। अतः प्रोजेक्ट से बालक जो कुछ भी सीखता है, करके सीखता है।

⇒ यह व्यावहारिता ही सामाजिक उपयोगिता का सबसे बङा आधार है। तत्कालीन आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले प्रोजेक्ट छात्रों के लिए विशेष रूचिकर होते हैं। ड्यूवी ने सामाजिक उपयोगिता को ही शिक्षा का लक्ष्य माना है।

7. स्वतंत्रता –

⇒ शिक्षक का यह दायित्व है कि बालकांे को कोई कार्य अपनी ओर से करने के लिए बाध्य न करे।

⇔ प्रोजेक्ट विधि में बालक आरम्भ से अन्त तक कार्य करने को स्वतंत्र रहता है। छात्र स्वयं योजनाओं का चुनाव एवं उनकी कार्यान्वयन विधियों का निर्धारण करते हैं।

8. व्यक्तिगत भिन्नता –

⇒ बालकों में योग्यता, क्षमता तथा अन्य गुणों के अनुसार व्यक्तिगत भिन्नता पाई जाती है। प्रोजेक्ट विधि में ऐसी ही व्यवस्था है कि बालक अपनीरूचियों और योग्यता के आधार पर काम करते है।

                                                                  #SPJ3

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