4. सुख दुख कविता का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए
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कविता "सुख-दुःख" सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखी गई है|
कविता "सुख-दुःख" का भावार्थ : कवि कहते है जीवन में मुझे न ज्यादा सुख चाहिए न ज्यादा दुःख चाहिए | मुझे जीवन में दोनों चाहिए ताकी जीवन सरल रूप से चला रहे| जीवन सुख-दुखपूर्ण है। सुख-दुख की खेलमिचौनी से जीवन अपना वास्तविक मुख खोल देता है। सुख-दुख के मधुर मिलन से जीवन पूर्ण हो जाता है। जीवन में सुख-दुख की खेल-मिचौनी होना जरूरी है , इस से जीवन अपना वास्तविक मुख खोल देता है| सुख और दुःख जीवन में बहुत सिखाते है|
सुख-दुख एक सिक्के के पहलू है | जीवन का असली मुख सुख -दुःख के मिलन में खुलता है|जीवन में सुख-दुख का संतुलन होना आवश्यक है , क्योंकि निरंतर दुःख और सुख पीड़ा देने वाले होते है| कई बार हमारा अधिक सुख दुःख में बदल जाता है और अधिक दुःख , सुख में बदल जाता है| कवि ने मानव जीवन का उद्देश्य सुख-दुख में हँसते रोते मानव जीवन आगे बढ़ता है।मानव जीवन में हँसी और रुलाई दोनों सदा रहते हैं। जैसे सबेरा होता है, शाम होती है, फिर सबेरा होता हैवैसे ही जीवन में सुख मिलते हैं,फिर दुख,फिर सुख।▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ ▬▬ ▬▬
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
(क) जीवन में सुख-दुख की खेल-मिचौनी क्यों जरूरी है?
Answer:
sukha dukha bhavarth apane shabdo me