4 संसारे अनेकानि बहुमूल्यानि वस्तूनि सन्ति परं तेषु ‘समयः' सर्वाधिकं बहुमूल्यम् अस्ति। यदि कदाचित् विद्या
-विनष्टा भवति तर्हि पुनः अभ्यासेन तां प्राप्तुं शक्यते, धनं विनष्टं पुनः तम् उपार्जयितुं शक्यते, यशो विनष्ट तु
पुनः सत्कार्येण लब्धं शक्यते किन्तु विनष्टः समयः केनापि प्रकारेण पुनः न प्राप्यते । एतदेव अस्य वैशिष्ट्यम्।
अतः एकमपि क्षणं व्यर्थं मा कुर्यात्। एतत् सत्यम् यत् समयो स्वल्पः परं कर्तव्यानि बहूनि सन्ति। एकस्मिन्
मानवजीवने नरः यदि समयस्य सदुपयोग न करोति तर्हि सः कदाचित् सफलो न भविष्यति । अतः कदापि
समयस्य दुरुपयोगं न कुर्यात् ।
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संसार में अनेकों बहुमूल्य वस्तु है परंतु उन सब में समय सबसे महत्वपूर्ण है। यदि कभी विद्या नष्ट हो जाए तो उसे पुनः अभ्यास के द्वारा अर्जित किया जा सकता है, धन नष्ट होने पर उसको पुणे अर्जित कर सकते हैं ,यश नष्ट होने पर अच्छे काम करके उसे फिर से पा सकते हैं ,किंतु समय नष्ट होने पर किसी भी प्रकार से उसे पुनः अर्चित नहीं किया जा सकता इसलिए यह विशेष है । इसलिए एकक्षण को भी नष्ट मत करो। इसको सत्य समझो कि समय थोड़ा है परंतु कार्य बहुत अधिक हैं। एक मानव जीवन में मनुष्य यदि समय का सदुपयोग ना करें तो उसका जीवन कभी भी सफल नहीं होता। अतः कभी भी समय का दुरुपयोग ना करें।
ItarSvaran:
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