42, निम्नलिखित में से किसे तमिल महाकाव्य माना
गया है।
(A) शिल्लपदिकारम्
(B) कुरूल-मणिमेखलै
(C) शिल्लपदिकारम्-मणिमेखलै
(D) कुरूल
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C
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शिलप्पादिकारम
शिलप्पादिकारम को 'तमिल साहित्य' के प्रथम महाकाव्य के रूप में जाना जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है- "नूपुर की कहानी"। इस महाकाव्य की रचना चेर वंश के शासक सेन गुट्टुवन के भाई इलांगो आदिगल ने लगभग ईसा की दूसरी-तीसरी शताब्दी में की थी।
मणिमेकलई
मणिमेकलई कवि चितलाई चतनार द्वारा रचित एक महाकाव्य है , जो कि आधुनिक तमिल साहित्य पाँच महाकाव्यों में से एक है। मणिमेकलई तीस छन्दों का काव्य है। यह एक अन्य पाँच महाकाव्यों में एक सिलापतिकाराम की ही उत्तर-कृति है जो कोवालन तथा माधवी की पुत्री की कथा बतलाती है जो बौद्ध भिक्षुणी बन गयी थी। इसे तमिल भाषा की ओडिशी भी कहा जाता है l
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