44. भारत की नवीन कृषि नीति वेफ प्रारूप को वेफन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा कब स्वीकृति प्रदान की गयी
(A) 1 अप्रैल, 1991
(B) इनमें से कोई नहीं
(C) 2 अक्टूबर, 1990
(D) 11 नवम्बर, 1992
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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को देश की पहली कृषि निर्यात नीति को मंजूरी प्रदान की। वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि इस नीति का मकसद 2022 तक कृषि उत्पादों का निर्यात 60 अरब डॉलर करना है ताकि किसानों की आमदनी दोगुनी हो सके। सुरेश प्रभु ने संवाददाताओं को बताया, "2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना के अनुरूप है। हमने कृषि निर्यात 30 अरब डॉलर से बढ़ाकर 37 अरब डॉलर किया है और हमें पक्का विश्वास है कि 2022 तक यह दोगुना बढ़कर 60 अरब डॉलर हो जाएगा।"
उन्होंने कहा, "आज हमारे कुल कृषि निर्यात में चावल, समुद्री उत्पाद और गोश्त जैसे तीन ही उत्पादों का योगदान 52 फीसदी है। इसलिए हमें इसमें विविधता लानी होगी और हम उस दिशा में काम कर रहे हैं। हम जैविक, नस्ली और देसी उत्पादों को प्रमुखता से प्रोत्साहन देंगे।"
Suresh Prabhu
मंत्री ने कहा कि प्याज जैसे घरेलू जरूरतों के कुछ प्रमुख कृषि उत्पादों को छोड़कर सभी जैविक और प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों से निर्यात प्रतिबंध हटा लिया जाएगा। आधिकारिक बयान के अनुसार, सरकार ने कृषि निर्यात दोगुना करने और भारतीय किसानों और कृषि उत्पादों को वैश्विक मूल्य श्रंखला से जोड़ने के मकसद से व्यापक कृषि निर्यात नीति बनाई है। इस नीति का मकसद अगले कुछ साल में 100 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य हासिल करना है।
आपको बता दें कि पिछले कुछ समय में से केंद्र सरकार किसानों के निशाने पर है। किसानों के प्रति सरकार के खिलाफ काफी रोष पनप रहा है। जिसकी वजह से सरकार को काफी डर सता रहा था कि अगर किसान इसी तरह से नाराज रहे थे तो 2019 में उनके लिए काफी मुश्किल होगी। वहीं दूसरी आेर किसानों की आय को दोगुना करने के फाॅर्मूले पर भी सरकार ने अभी तक कोर्इ खास काम नहीं किया था। लेकिन नर्इ पाॅलिसी आने के बाद किसानों को काफी राहत मिलने के आसार हैं। अब देखने वाली बात होगी कि नर्इ पाॅलिसी का किसानों को कितना फायदा होगा।
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D
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11 नवम्बर, 1992 को देश की नवीन कृषि नीति के प्रारूप को केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृति प्रदान की गयी।