Hindi, asked by govindmaheshwari8602, 2 months ago

5--18 निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिए।
मनुष्य के कर्तव्य मार्ग में एक ओर तो आत्मा के भले
और बुरे कर्मों का ज्ञान और दूसरी ओर आलस और
स्वार्थपरता रहती है और अंत में यदि उसका मन पक्का
हुआ तो वह आत्मा की आज्ञा मानकर अपने कर्म का
पालन करता है और यदि उसका मन कुछ काल तक
दुविधा में पड़ा रहा तो स्वार्थता निश्चित ही उसे आ घेरेगी
और उसका चरित्र घृणा योग्य हो जाएगा।
Shirshik gadhayns ka​

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Answered by kalpbisen2005
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Bhai qus Kaha hai plz question bhi do

Answered by azhar8897
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where us the question

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