5. 'आगरा का ताजमहल ' अपना चमक क्यों खोता जा रहा है?
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ताजमहल के रखरखाव की जिम्मेदारी कई विभागों-मंत्रालयों के हाथ में है। कई बार ये अलग-अलग तो कई बार साथ काम करते हैं। इनमें प्रमुख है भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई)। इसके अलावा 1982 मंें स्थापित ‘ताज ट्रेपेजियम जोन अथॉरिटी’ में कई जिम्मेदार साथ काम कर रहे हैं। 1999 में इसमें स्थानीय प्रशासन, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, केंद्र व राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, आगरा विकास प्राधिकरण, पर्यावरण, वन, पेट्रोलियम तथा गैस से जुड़े मंत्रालय के आठ लोग थे। 2015 में इनकी संख्या बढ़कर 18 हो गई। वैसे एएसआई अकेले और ताज ट्रेपेजियम जोन अथॉरिटी के जिम्मेदार तो मिलकर भी इसका ठीक रखरखाव करने मेें असमर्थ रहे हैं। एएसआई में कर्मचारियों का टोटा है। फिर भी फिलहाल तो वह ताज की चमक लौटाने के लिए इसकी दीवारों पर मुलतानी मिट्टी का लेप लगा रहा है। इस लेप को 24 घंटों या उससे अधिक समय के लिए सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है ताकि वह पत्थर से सारी गंदगी सोख ले। सूखने के बाद इस मिट्टी को शुद्ध पानी से धोया जाता है। इमारत को ये ट्रीटमेंट 1994, 2001, 2008 और 2014 में दिए जा चुका है। मगर एएसआई के ये प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं। एएसआई केंद्र सरकार के प्रति जवाबदेह है, यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट लगातार केंद्र सरकार को सख्त हिदायत दे रहा है। वहीं ताज ट्रेपेजियम जोन अथॉरिटी कोर्ट के आदेश के बावजूद जोन में पौधे लगवाने तथा प्रदूषण घटाने में असफल रहा है। वातावरण में मौजूद विषैली गैस आगरा के विश्वप्रसिद्ध ताजमहल को नुकसान पहुंचा रही है। पेड़-पौधों, जलीय जीवों और आम जनजीवन पर भी इसका असर पड़ रहा है। इससे बचने के लिए वाहनों तथा पॉवर प्लांट से निकलने वाले धुएं पर अंकुश लगाना होगा। यह कहना है राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर के रसायन विज्ञान विभाग के प्रो. केएस गुप्ता का। वह शुक्रवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग में आयोजित व्याख्यान में बोल रहे थे।
हवा में मौजूद धूल और कार्बन के कण ताज महल पर जम जाते हैं। इससे संगमरमर की चमक लगातार फीकी पड़ रही है। इसे ही ताजमहल के सौंदर्य के बिगड़ने का सबसे बड़ा कारण माना जाता रहा है। इस प्रदूषण की बड़ी वजह उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है।
‘अम्लीय वर्षा का वातावरण पर रासायनिक प्रभाव’ विषय पर आयोजित इस व्याख्यान में प्रो. गुप्ता ने कहा कि सल्फर डाई आक्साइड तथा नाइट्रोजन आक्साइड नमी के साथ मिलकर एसिड बनाते हैं। कभी कोहरे तो कभी बारिश के साथ नीचे गिरकर ये एसिड भवन, पेड़-पौधे, जलीय जीव और आम जनजीवन पर प्रतिकूल प्रभाव छोड़ते हैं।
ताजमहल के पीले होने के पीछे तो एसिड रेन और प्रदूषण जैसे वजह हैं. वहीं ताजमहल का हरा रंग उसके पास यमुना में फैल रहा प्रदूषण है...
उत्तर इस प्रकार है;
- ताजमहल 1648 में सम्राट शाहजहाँ द्वारा बनवाई गई ऐतिहासिक इमारत है।
- यह स्मारक प्राचीन सफेद संगमरमर से बनाया गया था लेकिन अब यह अपनी चमक खो रहा है।
- आगरा में यमुना नदी का अत्यधिक वायु प्रदूषण और प्रदूषण इस विश्व प्रसिद्ध स्मारक के सफेद संगमरमर के मलिनकिरण के लिए जिम्मेदार हैं।
- औद्योगिक उत्सर्जन की जहरीली गैस और यमुना नदी से निकलने वाली दुर्गंध इस ऐतिहासिक स्थल को नुकसान पहुंचा रही है।
- आगरा में उद्योगों से निकलने वाले सल्फर डाईआक्साइड और औद्योगिक प्रदूषकों का रंग बदरंग होने और मार्बल की चमक खोने पर बहुत प्रभाव पड़ रहा है।
- साथ ही, दूषित काले पानी से निकलने वाला हाइड्रोजन सल्फाइड प्रकृति में बहुत संक्षारक होता है। वास्तव में यह उद्योगों द्वारा छोड़े जाने वाले सल्फर डाइऑक्साइड से भी अधिक हानिकारक है।
- नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन , हाइड्रोजन सल्फाइड, सल्फर डाइऑक्साइड और अमोनिया जैसे सभी हानिकारक वायु प्रदूषकों में, अध्ययन में हाइड्रोजन सल्फाइड को सबसे हानिकारक और प्रभावशाली पाया गया।
- आगरा का अनुपचारित अपशिष्ट जल यमुना नदी में जमा हो जाता है और हाइड्रोजन सल्फाइड बनाता है।
- अंत में, अत्यधिक प्रदूषण के परिणामस्वरूप ताजमहल के सफेद संगमरमर का क्षय हो रहा है
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