(5) कवि मन ही मन अपने बारे में क्या सोचता था ?
क) वह किसी को कुछ भी कह सकता है।
ख) उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता |
ग) वह अत्यधिक धनवान है |
घ) इनमें से कोई नहीं |
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कवि घमंड से भरा हुआ एक दिन छत की मुँडेर पर खड़ा था।
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