5 lines pankti on prativha patil in hindi.
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प्रतिभा देवी सिंह पाटिल' का जन्म 19 दिसंबर, 1934 को महाराष्ट्र के जलगांव जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम नारायण राव था। सन 1965 में इनका विवाह शिक्षाविद देवीसिंह रणसिंह शेखावत के साथ संपन्न हुआ।
प्रतिभा पाटिल की प्रारंभिक शिक्षा जलगांव में ही हुई थी। इन्होंने स्नातकोत्तर की पढ़ाई संपन्न की और इसके बाद मुंबई के गवर्मेंट लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई पूरी की। वे टेबल टेनिस की बेहतरीन खिलाड़ी होने के साथ-साथ एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता भी रही हैं।
प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने 27 वर्ष की आयु में अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की। उन्होंने स्वतंत्र भारत के इतिहास में 12वीं राष्ट्रपति और पहली महिला राष्ट्रपति बनने का सौभाग्य प्राप्त किया। वे जुलाई 2007 से जुलाई 2012 तक देश की राष्ट्रपति रहीं। वे एक बेहद सम्माननीय महिला के तौर पर देखी जाती हैं। केवल इसलिए नहीं कि वह भारत की राष्ट्रपति रही हैं, बल्कि इसलिए कि देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने के बाद भी उन्होंने एक महिला होने के नाते अपनी गरिमा को बनाए रखा है। उनका व्यक्तित्व स्वयं ही एक शांत और निर्मल स्वभाव की महिला की पहचान है।
बाल्यकाल से लेकर राष्ट्रपति भवन तक प्रतिभा पाटिल की यात्रा निश्चित रूप से एक प्रेरक प्रसंग है और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक आशा की किरण। भारतीय राजनीति के इतिहास में यह ऐतिहासिक घटना सचमुच उल्लेखनीय रहेगी।
प्रतिभा पाटिल की प्रारंभिक शिक्षा जलगांव में ही हुई थी। इन्होंने स्नातकोत्तर की पढ़ाई संपन्न की और इसके बाद मुंबई के गवर्मेंट लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई पूरी की। वे टेबल टेनिस की बेहतरीन खिलाड़ी होने के साथ-साथ एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता भी रही हैं।
प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने 27 वर्ष की आयु में अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की। उन्होंने स्वतंत्र भारत के इतिहास में 12वीं राष्ट्रपति और पहली महिला राष्ट्रपति बनने का सौभाग्य प्राप्त किया। वे जुलाई 2007 से जुलाई 2012 तक देश की राष्ट्रपति रहीं। वे एक बेहद सम्माननीय महिला के तौर पर देखी जाती हैं। केवल इसलिए नहीं कि वह भारत की राष्ट्रपति रही हैं, बल्कि इसलिए कि देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने के बाद भी उन्होंने एक महिला होने के नाते अपनी गरिमा को बनाए रखा है। उनका व्यक्तित्व स्वयं ही एक शांत और निर्मल स्वभाव की महिला की पहचान है।
बाल्यकाल से लेकर राष्ट्रपति भवन तक प्रतिभा पाटिल की यात्रा निश्चित रूप से एक प्रेरक प्रसंग है और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक आशा की किरण। भारतीय राजनीति के इतिहास में यह ऐतिहासिक घटना सचमुच उल्लेखनीय रहेगी।
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